दीप धरो तुम द्वारे
(कविता)
हर्षित मन से सारे
दीप धरो तुम द्वारे द्वारे
रोशन पथ हो सारे
पूरी हो अभिलाषा
सब बंध कटे सारे
मुक्त हो हम घर से
रुके न धरती की धूरी
मिटा जाये बीच की दूरी
भाई से भाई मिले सारे
रोशनी पग को निहारे
हर हथेली में दीप ललकरे
भाग जा तम विस्वास जागा रे
दीप धरो तुम द्वारे द्वारे
-०-
पता:
अर्विना
-०-
No comments:
Post a Comment