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Monday, 13 April 2020

मैं छोटा सा कवि हूँ (कविता) - राघवेंद्र सिंह 'रघुवंशी'

 मैं छोटा सा कवि हूँ
(कविता)
मैं छोटा सा कवि हूँ और दर्द को लिखता हूँ,
गीतों में मैं अपने हमदर्द को लिखता हूँ...

तेरी बातों के फूलों से मैं ग़ज़ल पिरोता हूं,
तेरी याद सताए जब छुप छुप के रोता हूं,

तुम क्या जानो कितनी हमें तुमसे मोहब्बत है,
याद आए तो महफिल में भी तनहा होता हूं।।

हूँ नहीं बुरा उतना जितना तुझे लगता हूं,
मैं छोटा सा कवि हूँ और दर्द को लिखता हूँ…

मैंने ढूंढा है बहुत हकीकत और ख्वाबों में,
कोई कली न तुमसी मिली जन्नत के भी बागों में,

जब झांक के देखा अपने दिल में तो तुम्हें पाया,
तुम धड़क रहे थे मेरी धड़कन की रागों में।।

बागों का माली वर्षा गर्मी सर्द को लिखता हूं,
मैं छोटा सा कवि हूँ और दर्द को लिखता हूँ…
-०-
कवि 
राघवेंद्र सिंह 'रघुवंशी'

-०-

***
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रहो न अबला बनकर (कविता) - भुवन बिष्ट

रहो न अबला बनकर
(कविता)
उठो जागो हे मातृशक्ति,
स्वयं की तुम पहचान बनो।
रहो न अबला बनकर तुम,
भाग्य स्वयं का तुम ही बुनो।।
नारी जग जननी कहलाती,
बांधे पावनता की डोर।
मिटाती जग के अंधकार को,
उजियारा तुम से चहुँ ओर।।
फैलाने प्रकाश जगत में,
तुम ही अब रवि पुंज बनो।।
उठो जागो हे मातृशक्ति,
स्वयं की तुम पहचान बनो। ...
पवित्रता भी तुम दिखलाती,
ममतामयी भी तुम बन जाती।
शिक्षा के दीपक से ही अब,
जीवन यह उजियारा कर दो।
कठिन संघर्षों की राहों से ,
लक्ष्य स्वंय का तुम ही चुनो।
रहो न अबला बनकर तुम,
भाग्य स्वयं का तुम ही बुनो।..
खुशियाँ संपन्नता है तुमसे,
जग जननी जग का आधार।
सहो न अत्याचार भी तुम,
शक्ति का स्वरूप बनो।।
विद्या संपन्न शक्ति स्वरूपा,
मिले लक्ष्य मंजिलें चुनो।
उठो जागो हे मातृशक्ति,
स्वयं की तुम पहचान बनो। ....-०-
पता- 
भुवन बिष्ट
(रानीखेत) अल्मोड़ा 
(उत्तराखंड)
-०-

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अनसुना मत करो ना (कविता) - ज्ञानवती सक्सेना

अनसुना मत करो ना
(कविता)
कोरोना का संदेश अनसुना मत करो ना
खुद को खुदा मान इतना गुरुर मत करो ना

भागदौड़ छोड़ कभीतो आत्ममंथन करो ना
इतनी सी बात समझाने आया है करो ना

धरतीको इतना भी जर्जर मत करो ना
कुछबचे ही ना इतनाभी दोहन मत करो ना

लालच में हो मग्न इतनेभी अंधे मत बनो ना
इंसानियत को इतना शर्मसार मत करो ना

इतनी नकली दवाईयाँ चावल मत रचो ना
इंसान होकर इतने भी हैवान मत बनो ना

जैविकहथियारोंका जखीरा तुम मत भरो ना
पागलपन में खुदकी कब्र खुद मत खोदो ना

संभलजाओ सबक सिखाने आया है करोना
इतना कमाया है कुछ तो ऊपर ले चलो ना

करोना का संदेश अनसुना मत करो ना
अब इंसानियत के दुश्मन मत बनो ना
-०-
पता : 
ज्ञानवती सक्सेना 
जयपुर (राजस्थान)
-०-

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