जनवादी कथाकार : स्वयं प्रकाश
(आलेख)
हिन्दी गद्य साहित्य के प्रमुख जनवादी कथाकार स्वयंप्रकाश की मृत्यु हिन्दी कथा साहित्य के लिए अपूर्णीय क्षति है । साठोत्तरी पीढ़ी के बाद के जनवादी लेखन से ताल्लुकात रखने वाले स्वयं प्रकाश जी पहले कविता लेखन तथा मंचों पर स्वसुर वाचन किये करते थे बाद में उन्होने कथा, उपन्यास, संस्मरण, रेखाचित्र,नाटक, निबंध आदि विविध गद्य विधाओं पर कलम चलायी । तकनीक की शिक्षा प्राप्त करने वाले स्वयं जी का का हिन्दी से यह लगाव मातृभाषा के प्रति उन्मुखता, सात्विक प्रेम तथा लोकप्रियता दृष्टिगोचर करती है । उनके कथा साहित्य में लोकरंग, लोकभाषा, लोकतत्व, ग्रामीण सभ्यता एवं संस्कृति, जन चेतना तथा राजस्थान बोलता है । उनके देशी पात्र अनेक रूप-रंग के ताने-बाने बुनने के साथ-साथ गूढ़ संदेश तथा समस्याओं को भी उजागर करते हैं । मध्यवर्ग की संभावनाओं को कहानियों में उकेड़ने वाले स्वयंप्रकाश आधुनिकता,मशीनीकरण, शहरीकरण, यांत्रिकता आदि जैसे प्रांसगिक विषयों को भी आत्मसात करती है । 'ईंधन' उपन्यास भूमंडलीकरण की समस्या पर लिखा गया है । मात्रा और भार, सूरज कब निकलेगा, आसमाँ कैसे-कैसे, अगली किताब, आयेंगे अच्छे दिन, छोटू उस्ताद, आदि उनकी सुप्रसिद्ध कहानी हैं । जलते जहाज पर, बीच में विनय, ईंधन, उत्तर जीवन कथा, ज्योति रथ के सारथी आदि उनके उपन्यास हैं । इसके अतिरिक्त उन्होने निबंध, नाटक, रेखाचित्र, संस्मरण आदि विधा में भी लेखनी चलायी है । स्वान्तः सुखाय, दूसरा पहलू, रंगशाला में एक दोपहर तथा एक कहानीकार का नोटबुक उनका प्रसिद्ध निबंध है तो वहीं फिनीक्स उनका सुप्रसिद्ध नाटक । बाल-साहित्य में भी उनकी खासी रूचि थी, उन्हें "प्यारे भाई रामसहाय" नामक बाल कृति पर साहित्य अकादमी से नवाजा गया था । प्रसिद्ध कथाकार रमेश उपाध्याय से प्रेरित होकर लेखन प्रारंभ करने वाले इंदौर के वीर-स्वयंप्रकाश का जनवादी स्वभाव तथा कला की बुनावाट ऐसे मुखरित होता है कि अनुभव उसके सामने शर्मिंदा हो जाता है । अच्छी और कालजयी रचना वही होती है जो वर्तमान के साथ-साथ भविष्य को भी जीयें स्वयंप्रकाश की कृति भी कुछ इसी तरह की हैं । उनके जाने से हिन्न्दी कथा साहित्य में जो बड़ा गैप हुआ है उसे पाटने में अभी वर्षों लग जायेंगे । कथाकार को विनम्र श्रद्धांजलि ।
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पता-
सत्यम भारती
नई दिल्ली
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