कोयल की कक्षा
(बाल कहानी)
कोयल ने अपने छात्रों को घर पर रियाज करने के लिए कहा था. सभी छात्र अपनाअपना रियाज कर रहे हैं या नहीं ? यह देखने के लिए वह उड़ चली. रास्तें में उसे बुलबुल चिड़िया मिली. वह कूद रही थी. एक, दो, तीन. साथ ही उस के साथ ही गिनती बोल रहे थे. नौ, आठ, सात, छह, पांच, चार, तीन, दो, एक.
बुलबुल चिड़िया गाना गा रही थी. “सारे जहां से अच्छा, तिनका-तिनका घर हमाराहमारा.”
कोयल को बुलबुल का गाना अच्छा लगा. उस की छात्रा बुलबुल गाने का रियाज कर रही थी. वह आगे उड़ी. वह एक गधा मिला. वह जिद् कर के कल ही कोयल के संगीत विद्यालय में भरती हुआ था.
वह जमीन पर लोट लगा रहा था. एक, दो, तीन. फिर जमीन पर लोट मार कर अपना गला साफ किया. गाने लगा, “ सारे जहां से अच्छा, धूल सना गांव हमाराहमारा.”
“ वाह ! सुंदर रियाज”, कहते हुए कोयल उड़ कर आगे चल दी.
आगे जाने पर उसे एक कठफोड़वा मिला. वह अपनी चोंच से पेड़ के काट कर अपने लिए घर बना रहा था. नौ, आठ, सात, छह, पांच, चार, तीन, दो, एक.
फिर उस ने तीन बार जोर से पंख फड़फडाएं. ऊंचेनीचे उड़ा. और गाने लगा, “ सारे जहां से अच्छा, प्यारासा वृक्ष हमाराहमारा.”
कोयल को कठफोड़वा का गाना अच्छा लगा. वह आगे चल दी. उस ने कौए को अपना शिष्य बनाया था. वह अपनी कर्कश आवाज से परेशान था. कोयल ने उसे कहा था. “अपनी कर्कश आवाज सुधारना चाहते हो तो नमक मिले गरम पानी से गरारे करना. इस से गला साफ हो जाता है. खराश भी दूर हो जाती है.”
कौआ अपने घर में बैठा हुआ गरारे कर रहा था. उस ने सब से पहले गरम पानी मुंह में डाला. फिर, मुंह ऊंचा कर के बोला, “ गर्रर...गर्रर. नौ,आठ, सात, छह, पांच, चार, तीन, दो, एक.” फिर जोर से ऊंचेनीचे उछला.
एक दो तीन. फिर गाने लगा, “ सारे जहां से अच्छा, तिनकातिनका जहां हमाराहमारा.”
कोयल को कौए का गाना अच्छा लगा. उस की कर्कश आवाज मधुर हो रही थी. अब कोई यह नहीं कहेगा कि कौआ कर्कश बोलता है. यह सोच कर कोयल उड़ी.
वह नीलकंठ के पास पहुंची. वह अपने दोस्तों के साथ बैठा हुआ रियाज कर रहा था, “ सारे जहां से अच्छा, ये दोस्तां हमाराहमारा.”
साथ ही सभी साथी गा रहे थे. यह देख कर कोयल ने कहा, “ शाबाष नीलकंठ ! तुम अपने दोस्तों को भी सीखा रहे हो. इसी तरह अभ्यास करते रहो. एक दिन बहुत उम्दा गाना गाना सीख जाओगे.”
यह सुन कर नीलकंठ बोला, “ बहुतबहुत आभार गुरूजी.” कहने के साथ वह तीन बार उछला. फिर बोलने लगा, “ नौ, आठ, सात, छह, पांच, चार, तीन, दो, एक. आया मजा.”
“ हुरर्र रे !” कहते हुए तीनों साथी चिल्ला पड़े.
कोयल के सभी छात्र बढ़िया रियाज कर रहे थे. यह देख कर वह खुश थी. उसे अपनी अंतिम छात्र का रियाज देखना था. वह उड़ कर गौरेया के पास पहुंची. वह पानी में नहा रही थी.
छपाक, छपाक, छपाक. साथ ही कह रही थी,” नौ, आठ, सात, छह, पांच, चार, तीन, दो, एक.”
इस की नकल उस के बच्चे उतार कर रहे थे. उन्हें भी कूदने में मजा आ रहा था. वह अपनी गौरेया मां की तरह कूदे. छपाक-एक, छपाक-दो, छपाक-तीन.
फिर उलटी गिनती दोहराने लगे. नौ, आठ, सात, छह, पांच, चार, तीन, दो, एक.
यह देख कर कोयल खुश हो गई. तभी गौरेया ने गाना गाया, “ सारे जहां से अच्छा, गुलिस्तां हमाराहमारा.”
“ सारे जहां से अच्छा, यह गुलिस्तां हमाराहमारा.”
यह सुन कर कोयल को अपनी लय व तान मिल गई. उस ने भी एकदोतीन कह कर अपने गले से लंबी तान निकाली. उलटी गिनती बोली, “ नौ, आठ, सात, छह, पांच, चार, तीन, दो, एक.”
फिर गाना शुरू कर दिया, “ सारे जहां से अच्छा, गुलिस्तां हमाराहमारा.”
यह कहतें हुए वह उड़ गई. उसे अपने विद्यालय के लिए एक बहुत बढ़िया गाने की लय मिल गई थी. उस ने सोचा कि वह कल सभी को यही गाना सीखएगी. वह अपनी विद्यालय पहुंची.
वह कई विद्यार्थी गाना सीखना चाहती थी. वे उन का फार्म भरते हुए गाने लगी, “ सारे जहां से अच्छा, गुलिस्तां हमाराहमारा.”
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ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश'
पता- *पोस्ट ऑफिस के पास , रतनगढ़ जिला-नीमच (मध्यप्रदेश)