जिंदगी जिंदा लोगों की पहचान है
(नज्म)
मुश्किलें हौसलों मे छिपी जान है
जिंदगी जिंदा लोगों की पहचान है
मंजिलों का पता है राहों के कांटे
हटाते चले हम इन्हें जाते - जाते
गुजरने का हमारे यह निशान हैं
जुस्तजू से शुरू हो हर एक आरजू
कर सकेंगे तभी हम खुद से गुफ्तगू
रखें खुद पर यकी रब का फरमान है
दायरा यहां उसने खुद पर बनाया
जिसने अपने मकसद को है भूलाया
जिंदगी के बसर से वह अनजान है
रख हौसला तू कदम तो बढ़ा
हौसले से बिना पंख वह है उड़ा
मुश्किलें हौसलों की हमजबान हैं
बेदार कर लो अपनी समझ को
जरा जान लो तुम अपने मरज को
जो जान ले दर्द वह इंसान है
खुशी, गम,दोस्त, दुश्मन, रहबर
सब किरदार है दरमियांने सफर
चलती जमीन पे सारा जहान है
उम्र भर ख्वाहिशों को जमा होने दिया
कल करेंगे वक्त यूं ही गुजरने दिया
वक्ते आखिर में अब वो क्यों परेशान हैं
हर घड़ी, हर लम्हा आसान है
मुसाफिर अगर अहले इमान है
जिंदगी हमारी एक इम्तिहान है
दो गज जमीन तो सबका मुकाम है
वह मुर्दा यहां है जो गुमनाम है
हमें अताए जिंदगी रब का इनाम है
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