ईमानदारी
(लघुकथा)
दिन की बात है, स्कूल में लंच का समय हुआ। सभी दोस्त टिफिन खाने बेठे। दोस्तो ने रवि को बोला। चलो रवि लंच करते हैं, रवि बोलता हैं, तुम लोग करो मैं कैंटीन से सामान लेकर आता हूं। रवि कैंटीन में जाकर समोसा खरीदता है, कैंटीन में ज्यादा भीड़ होने के कारण दुकानदार ज्यादा पैसे वापस कर देता है। रवि खुश हो जाता है। वाह क्या बात है, समोसा भी खा लिया और पैसे भी बच गए। उसके घर लौटने के बाद थोड़ा सोचता है ,उसे लगता है। यह मैंने गलत किया रवि दूसरे दिन जाता है ।दुकानदार को पैसे वापस कर देता है। वह बोलता है, कल दुकान में ज्यादा भीड़ होने के कारण आपने मुझे ज्यादा पैसा दे दिये थे। दुकान वाला यह देख कर खुश हो जाता है। बेटा तुम बड़े ईमानदार बच्चे हों रवि की ईमानदारी देखकर दुकान वाला खुश हो जाता है। उपहार के रूप में समोसा भेट करता है।
"ईमानदारी एक अच्छी निति है। विपरित परिस्थिति मे भी जो ईमानदारी के पथ पर चलता है , वह भय ओर तनाव से मुक्त रहता है ।।"
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पता
हिमानी भट्ट
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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