*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Sunday, 1 November 2020

सृजन महोत्सव मंच द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन संगोष्ठी (वेबिनार) - 4 नवंबर 2020 - शाम 5 बजे



सादर अभिवादन!!!

सृजन महोत्सव ऑनलाइन पटल की वर्षगाँठ के पर इस मंच की ओर से अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है. यह संगोष्ठी में 'हिंदी और हिंदी साहित्य प्रचार-प्रसार देश-विदेश में' इस विषय पर आयोजित की गई है. कार्यक्रम के निम्न मान्यवर मंच को सुशोभित करेंगे. 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि: संगीता ठाकुर, सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं संपादक (काठमांडू, नेपाल)
कार्यक्रम अध्यक्ष: गोविंद शर्मा, सुप्रसिद्ध बालसाहित्यकार एवं लघुकथाकार (संगरिया, राजस्थान)
विशेष अतिथि: ता.का.सूर्यवंशी, उपाध्यक्ष, महराष्ट्र राज्य हिंदी अध्यापक महामंडल (सातारा, महाराष्ट्र)
विशेष उपस्थिति: मोहन तिवारी ‘आनंद’, संस्थापक अध्यक्ष, मध्यप्रदेश तुलसी साहित्य अकादमी (भोपाल, मध्यप्रदेश)
सादर निमंत्रित उपस्थिति: आप सभी हिंदी एवं हिंदी साहित्य प्रेमियों की

आयोजक एवं संयोजक
सृजन महोत्सव पटल के संपादक द्वय  
राजकुमार जैन ‘राजन’, सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं संपादक
मच्छिंद्र बापू भिसे ‘मंजीत’, अध्यापक, साहित्यकार एवं संपादक

कार्यक्रम : 
दिनांक: 4 नवंबर 2020 (बुधवार)
समय: शाम 5.00 बजे (भारतीय समयानुसार)
स्थल- गूगल मीट पर
संगोष्ठी में जुड़ने के लिए गूगल मीट कोड: hje-qfgi-ese

सीधा जुड़ने के लिए निचे दिए चित्र पर क्लिक करें और गूगल मीट चयन करें !


विशेष सूचना:

  • संगोष्ठी में जुड़ने का समय – 4 नवंबर 2020 के दिन शाम 4.45 से
  • कार्यक्रम आरंभ: 5 बजे
  • संगोष्ठी में जुड़ते ही अपने ऑडियो म्यूट (Mute) करे. अच्छे नेटवर्क के लिए अपने ऑडियो और विडियो दोनों बंद रखकर कार्यक्रम का आनंद लें.
  • अपना अमूल्य समय देकर पूरे कार्यक्रम में उपस्थिति दर्शाकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएँ.
  • कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम के बारे में अपने अभिप्राय देने हेतु गूगल फॉर्म लिंक भेजी जाएगी. आपके अभिमत हमारे लिए मूल्यवान है जो हमें अच्छे कार्य के लिए प्रेरणादायी हो सकते हैं.  
  • सभी अभिप्राय प्रदाताओं को सहभागिता प्रमाणपत्र इतवार दिनांक 8 नवंबर २०२० के दिन सृजन महोत्सव पटल के माध्यम से वितरित किया जाएगा. 
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हिन्दी,हिन्द का ह्रदय स्पन्दन (कविता) - राजकुमार अरोड़ा 'गाइड'

 

हिन्दी,हिन्द का ह्रदय स्पन्दन
(कविता)
तिरंगे सी महान,एकता की पहचान, देवभाषा की संतान हिन्दी ने सदभाव खूब बढ़ाया है।
हिन्दी हिन्द का गौरव है, जिसकी सरलता और
व्यापकता ने पूरे विश्व में
परचम लहराया हैं।।
अंग्रेजी अंग्रेजी रटने वालो,तुमने स्वयं ही तो,
मातृभाषा का मान घटाया है।
क्या कभी अंग्रेजों ने,
अपने देश में,किसी भी तरह,अंग्रेजी दिवस मनाया है।। 
हिन्दी,मनभावन हिन्दी,प्यारी हिन्दी, दुलारी हिन्दी, हिन्दी हिन्द की ह्रदय स्पन्दन।
आओ लिखें हिन्दी,पढ़े हिन्दी, बोलें हिन्दी,यही तो है, हिन्दी का पूर्ण अभिनन्दन।।
साहित्य,सिनेमा,सोशल मीडिया,दूरदर्शन में,
हिन्दी प्रयोग से मिट गई  हैं,सब दूरियां।
हिन्दी को ह्रदय में बसा लो,अपना बना लो,फिर मिट जायेंगी,सब
मजबूरियां।।
हिन्दी है,हमारे ह्रदय की,धड़कन,ये धड़कती धड़कन,है हमारा अमिट प्यार।
हमारी हिन्दी,अब बनेगी,
सब की प्यारी हिन्दी,
हिन्दी से ही गूंजेगा, सारा संसार।।
नित नये बदलते युग में,
हिन्दी के प्रचार की,प्रसार की,सम्भावना अपार है।
फिर देखना,यही हिन्दी, जन जन का आधार है,माँ
भारती का श्रंगार है।
हिन्दी प्रतीक है,राष्ट्र की
अस्मिता की,हर दिन ही होगा,हिन्दी का मान -सम्मान।
जरूरत है इक ज़ज़्बे की,
मजबूत इरादे की,तब ही हर चुनौती का होगा सम्पूर्ण समाधान।।
-०-
पता: 
राजकुमार अरोड़ा 'गाइड'
बहादुरगढ़(हरियाणा)


-०-

***
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मैंने तुझे खोया नहीं (कविता) - अजय कुमार व्दिवेदी

 

मैंने तुझे खोया नहीं
(कविता)
आखों में मेरे आंसू थे मगर मैं रोया नहीं।
मुख से तेरे चुंबन के दाग को धोया नहीं।

लाखों सपनें सजा लिए तूने अपनी आखों में। 
पर मेरी आखों ने कभी सपना कोई सजोया नहीं। 

तू छोड़कर जबसे गई मैं क्या बताऊँ हाल को। 
मैं किसी के सपनों में आज तक खोया नहीं। 

बरसों गुजर गये मेरे तुझ संग बिछड़े हुए।
एक अरसा हो गया मैं रात में सोया नहीं। 

ऐसा कोई दिन नहीं मुझे याद तू न आई हो। 
पर तूने मुझको खो दिया मैंने तुझे खोया नहीं।
-०-
अजय कुमार व्दिवेदी
दिल्ली
-०-


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मौन स्वीकृति (कविता) - सोनिया सैनी

 

मौन स्वीकृति
(कविता)
मेरे मौन को, 
तुम अत्याचार करने की 
स्वीकृति मत समझना।
मौन हूं, निशब्द हूं
क्युकी रिश्तों के प्रति
सवेदंशील हूं।
सहमत होना अनिवार्य तो नहीं,
हर बार
उचित अनुचित भी तो देखना
होता है।
नहीं देता ,मेरा अंतस किसी
अनुचित बात की स्वीकृति
तो नहीं हो पाती में
स्वीकृत।
कैसे कह दू
मिथ्या को सत्य
नहीं कर पाती
बस तुम्हारी खुशी के लिए
रह जाती हूं ,मौन
पर मेरे मौन को तुम
असीमित गलत बातें
थोपने की स्वीकृति
मत समझ लेना।
मेरी व्यापक सोच को
मै, नहीं बांध पाती,
 तुम्हारी छोटी सोच
के दायरे में,
ज़हर का घुट पीकर 
रह जाती हूं, मौन
रिश्तों को निभाने को,
तुम्हारे हृदय में बस 
जाने को,
पर फिर भी
मेरे मौन को तुम
अवांछित इच्छाएं थोपने
की , स्वीकृति मत समझना।
-०-
पता:
सोनिया सैनी
जयपुर (राजस्थान)

-०-


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