फिर भी हम बेफिक्र है...
(कविता)
प्राचीनतम इतिहास है
व्याख्यानों में बात है
हर संस्कृति में खास है
भारतीयता का साज है
संस्कृति में हो रहे छिद्र है
फिर भी हम बेफिक्र है
वीरों की शान है
भारत मस्तक महान है
युवाओं में जान है
हम सनातन संतान है
आज नशे में होता जिक्र है
फिर भी हम बेफिक्र है
नारी सम्मान है
पूजा विधान है
घर की वो शान है
प्रेमधन वरदान है
राह नजरों में हिक्र है
फिर भी हम बेफिक्र है
व्याख्यानों में बात है
हर संस्कृति में खास है
भारतीयता का साज है
संस्कृति में हो रहे छिद्र है
फिर भी हम बेफिक्र है
वीरों की शान है
भारत मस्तक महान है
युवाओं में जान है
हम सनातन संतान है
आज नशे में होता जिक्र है
फिर भी हम बेफिक्र है
नारी सम्मान है
पूजा विधान है
घर की वो शान है
प्रेमधन वरदान है
राह नजरों में हिक्र है
फिर भी हम बेफिक्र है
-०-
राजेश सिंह 'राज'