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Friday, 10 April 2020

देवताओं के कार्य (कविता) - दिनेश चंद्र प्रसाद 'दिनेश'

देवताओं के कार्य
(कविता)
देवताओं की शक्ति
शायद क्षीण हो गई है
क्योंकि भक्तों की मनोकामना
पूर्ण करने में वो
अक्षम हो गए हैं
फल मिठाई खा कर
उनका मन भर गया है
लड्डू खाते-खाते शायद
गणेश जी को शुगर हो गया है
या बहुत मोटे हो गए हैं
इसीलिए भक्तों का
बिघ्न नहीं हर रहे हैं
भक्तों के बुलावे पर देवता
अब कहीं नहीं जा रहे हैं
इसीलिए उन्हें
उन जगहों पर
बैठा दिया गया है
जहां पर लोग मना करने के
बावजूद लघुशंका करते हैं
सीढ़ी और लिफ्ट के पास
पान का पिक और
गुटका खा कर फेंकते हैं
इन्हें रोकने के लिए
आप नाराज मत होइए
मैं कोई नास्तिक नहीं
सत्य घटना का
वर्णन कर रहा हूं
एक सच्ची दास्तान
सुना रहा हूं
जिनकी हम पूजा करते हैं
पूजा घर में सजाकर
उन्हें अब गंदगी
रोकने के लिए
गंदे जगहों पर
लगाया जाता है
एक जगह तो वो एक
मस्जिद के दीवारों की
रक्षा करते नजर आते हैं
अपने भक्तों की
लघुशंका से
मैं दुखी होकर
ये कविता लिख रहा हूं
कि क्या देवताओं का
यही काम रह गया है
या मनुष्यों की गलती की
सजा वो भुगत रहे हैं-०-
पता: 
दिनेश चंद्र प्रसाद 'दिनेश'
कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)
-०-


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जीवन भी क्या कम है (ग़ज़ल) - मृदुल कुमार सिंह

जीवन भी क्या कम है
(ग़ज़ल)
जीवन भी क्या कम है यारो
फिर कैसा ये गम है यारो|

जंग हुयी तो कोन बचेगा
हाथ सभी के बम है यारो|

खेल समय का है सब वरना
कोन किसी से कम है यारो|

पास नहीं है फूटी कौड़ी
बातों में पर दम है यारो|

सूरज बस्ती में निकलेगा
चार पहर का तम है यारोंं|

चांद सितारे दूर नहीं है
साथ चलें गर हम है यारो|

होठों पर मुस्कान "मृदुल"है

लेकिन आँखे नम है यारो|-०-
पता:
मृदुल कुमार सिंह
अलीगढ़ (अलीगढ़) 

-०-


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हे माँ शेरावाली (कविता) - शुभा/रजनी शुक्ला



हे माँ शेरावाली 
                    (कविता)
काल के फंदे से हमको छुडाओ
हे मां शेरावाली ।।
करोना के पंजे से हमको बचालो
हे वैष्णव महारानी मां......

हे शारदे किरपा करो महामाई
बचा लो मैंया छुडा लो भैया
चरणों में तेरी जयकार जयकार रे-- हे शारदे

धरती पे कैसा वाइरस आया
मौत का खतरा छाया
मुह फैला कर मासूमों को
अपना ग्रास बनाया
तुझपे सबकी है श्रद्धा अपार
बचालो मैया छुड़ा लो मैया
चरणों में तेरे जयकार जयकार रे --- हे शारदे

2-- वैसे तो इंसा ने खुद अपने
पाव कुल्हाड़ी दे मारी
जैसी उसकी करनी थी तो
ये सजा भी कम ही है माई
सबका जीवन हुआ दुश्वार
बचा लो मैया छुड़ा लो मैया
चरणों में तेरी जयकार जयकार रे -- हे शारदे

3-- तुम हो हमारी प्यारी माता
भक्तो की दुख हरता
जिसका नहीं गर कोई जगत में
तेरे प्रेम से भरता
अपने बच्चो को तू ही सम्हाल
ओ शेरा वाली ,पहाड़ा वाली
चरणों में तेरी जयकार जयकार री हे शारदे --
-०-
शुभा/रजनी शुक्ला
रायपुर (छत्तीसगढ)

-०-

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कर दो कोरोना का संहार (कविता) - सुरेश शर्मा


कर दो कोरोना का संहार
(कविता)
चीन ने एक भयंकर भूल की या फिर चली ,
अपनी पुरानी कोई अमानवीय गहरी चाल ।
ऐसी विनाशकारी षड्यंत्र मे लिप्त होकर ,
बैठे बैठे उसने किया दुनिया भर मे संचार ।

बनाएं उसने अकाल्पनिक हथियारों का जखीरा ,
कोरोना वायरस से कुख्यात हुआ उसका नाम ।
जन गन मुश्किलों से घिरे माहौल पर पड़ा प्रहार ,
आफत मे पड़ें सभी ,लाखों ने गंवाएं अपने प्राण ।

समय आया है सतर्क और सावधानी से रहने का ,
बार बार साबुन से हाथ धोना,लिए बिना अवकाश ।
नही तो खामियाजा भुगतना पड़ेगा हम सभी को ,
रोक ना पाएगा कोई ,जब होगा विश्व का सत्यानाश ।

कीटाणुमुक्त होकर अपने आप पर करो अहसान ,
पास पड़ोस को भी ज्ञान दे करो सब को आगाह ।
घर से ना निकलने का इक्कीस दिन की संकल्प को ,
किसी भी कीमत पर अब करना होगा स्वीकार ।

जान है तो जहान है इस तथ्य को करो चरितार्थ ,
एक दूजे से दूरी रखकर करो जग का कल्याण ।
देशहीत मे सोंचो भाईयों ,ना करो देश का अपमान ,
कायम करो मिशाल ,कर दो कोरोना को नाकाम ।

मनोबल टूटा सबका मची दुनिया भर में हाहाकार ।
सुपर पावर अमेरिका का भी कर दिया बुरा हाल ।
हो गये कंगाल ईटली,फ्रांस,स्पेन,जर्मनी और इरान।
पीछे ना हटो कोई , अब कर दो कोरोना का संहार ।
-०-
सुरेश शर्मा
गुवाहाटी,जिला कामरूप (आसाम)
-०-

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