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Sunday, 12 April 2020

क्या राम फिर से आएँगे (कविता) - देवकरण गंडास 'अरविन्द'

क्या राम फिर से आएँगे
(कविता)
तड़प उठी है नारी
बन रही है पत्थर,
दबा दिया है उसने
अपने अरमानों को,
छुपा लिया है उसने
अपने मनोभावों को,
वो जिंदा तो है मगर
जीती नहीं जिंदा की तरह,
जमाने की निष्ठुरता ने
उसे बना दिया है अहिल्या,
और आज वो इंतजार में है
कि क्या राम फिर से आएंगे।

त्रेता युग में उद्धार किया था
राम ने श्रापित अहिल्या का,
उस पत्थर में उसने डाला था
नया प्राण नव जीवन का,
मगर क्या इस कलयुग में भी
होती शापित नारी को बचाएंगे,
तार तार हो रही इस नारी को
क्या वो भव सागर तार पाएंगे,
हर गली चौराहे बैठे हैं रावण
करने को हरण सीता का यहां,
सुनकर नारी की करुण पुकार
क्या सांत्वना उसे वो दे पाएंगे,
सोच रही है पत्थर की अहिल्या
कि क्या राम फिर से आएंगे।
-०-
पता:
देवकरण गंडास 'अरविन्द'
चुरू (राजस्थान)

-०-


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मृत्यु का अघोष (कविता) - राजीव डोगरा


उदासियां
(कविता)
अघोष करता रहा मृत्यु का
अट्टहास करता रहा काल से,
जब कुछ भी न बचेगा तो
हे! प्रभु
लीन हो जाऊँगा तुम में।

मृत्यु के कण-कण में
मैं विराजमान रहा,
क्षण-क्षण मरता हुआ भी
पल-पल काल के
जकड़े पंजों में पलता रहा।

लोगों ने इतना तोड़ा-मरोड़ा
फिर भी
जीवन के वृक्ष पर
मानवता की आड़ ले,
भावनाओं के फूलों की तरह
हर दम खिलता रहा।

अघोष करता रहा हर पल
स्वयं में मृत्यु का,
लोगों को लगा
मैं हार कर मर चुका हूं।
मगर फिर भी जीता रहा,
खामोशियों के भीतर
हर दम अट्टहास करता हुआ।
-०-
राजीव डोगरा
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश
-०-




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तोहफ़ा (लघुकथा) - माधुरी शुक्ला

तोहफ़ा
(लघुकथा)
राहुल को दादी बहुत प्यार करती है। वह भी दादी का खूब ख्याल रखता है पापा-मम्मी से भी ज्यादा। दादी उसे जब भी अपने जमाने की बातें सुनातीं तो उसमें पक्की सहेली सरला का जिक्र जरूर आता। उनके बारे में बात करते वक्त दादी के चेहरे पर खुशी तैर जाया करती थी। पहले सरला दादी उनके यहां आ जाया करती थी पर अब बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य की खराबी के चलते काफी समय से उनका आना नहीं हुआ।

आज दादी का जन्मदिन है। सब उन्हें शुभकामनाएं और तोहफे दे रहे हैं। राहुल ने कुछ अलग करने की ठान रखी है। वह शाम को दादी को पहले मंदिर फिर सरला दादी के घर ले जाता है। दोनों को खूब खुश देखकर उसे लगता है जन्मदिन पर दादी के लिए इससे बड़ा तोहफा शायद ही दूसरा कोई होता। फिर दादी भी तो बार-बार यही कह रही है सरला से मिलकर आज मेरा दिन सार्थक हो गया।
-०-
पता:
माधुरी शुक्ला 
कोटा (राजस्थान)


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