‘कहो करोना काइसे बाटेया’
(कविता)
हम सब तऊ घरहिं मा आहीं
सबेरे संझा रामायण देखत, राम– राम जपतऊ अहीं
औ मेहराऊ, लरिकन मा बिजी अहीं
केतना देश तू घूमबेया राजू
का तू तनिकऊ थकतैंया नाही
अरें घाम होई लाग बा चटकैय
तुहू का लूक लागी जाई
अरे जातेया भितरे राहतेया
का त्राहि– त्राहि मचाए बाटेया
नाउ तोहार होईगा बा
अब तू देशवा से कबहू न मर बेया
तोहरे नाउ पर डाक्टर होई,
आफिस होई,दवाई होई इंजेक्शन होई
अब तू काहे देशवा मा फैईलत बाटेया
जातेया अपने भितरे राजू
हमाय कहा तो ईहैय बाट्य
आउर बतावा काइसे बाटेया
पढ़ैय –लिखैय वाले लरिका सब परेशान अाहैय
दू जून कैय रोटी वाले मानई सब हैरान आहैय
बियाह करैय वाले लरिकन सब तड़पत बाटेन
बुढ़वन सब घरें मा माला फेरत थकगा बाटेन
अऊ मेहरारुअन क़ैय पलार, सीरियल,किट्टी पार्टी छूटत बा
तोहका पता आहय कोरोना केतना तू परेशान करें बाटेया
अरे अबहू न बताऊंबेया काईसे बाटेया ।।