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Tuesday 29 October 2019

दीपावली मिलन का त्योहार है (आलेख) - राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित"


दीपावली मिलन का त्योहार है
(आलेख)
कार्तिक मास की अमावस्या को हम प्रतिवर्ष दीपावली का त्योहार मनाते हैं।भगवान श्री रामचन्द्र जी चौदह वर्ष के वनवास के बाद वापस इसी दिन अयोध्या लौटे थे। इसी खुशी से अयोध्या की प्रजा ने घी के दीप जला कर रोशनी की थी। भगवान के अवध पधारने के लिए उनका स्वागत सत्कार अगवानी की थी। 
दीपावली प्रकाश का त्योहार है। व्यक्ति अपने आप मे एक प्रकाश है। लोग इस दिन मिठाइयां बांटते है। खुशी मनाते हैं। नये वस्त्र पहनते हैं।सारे दुख दर्द भूल जाते हैं।पटाखे चलाते हैं। धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजन करते हैं।ऐश्वर्य सुख समृद्धि की कामना करते हैं। इस त्योहार पर बैलों गायों के साथ पशुधन की पूजा भी की जाती है। आज के दिन बुद्धिमत्ता का प्रकाश सबके भीतर होता है।जीवन का उत्सव लोग खुशी से मनाते हैं।धन और ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी की पूजा कर लोग समृद्धि मांगते हैं।गणेश चेतना के आवेग है जो हमारे सारे विध्न हर लेते हैं। इसलिए दीवाली के दिन जप किया जाता है।हमारे भीतर बहुत सारा प्रेम है शांति है आनंद है।ये ही हमारी असली दौलत है।यही वास्तविक सम्पति है।मन की शांति व आत्मविश्वास ही सच्ची सम्पत्ति है।जब लहर ये याद रखती है कि वह समन्दर के साथ जुड़ी है तो उसे विशाल शक्ति मिलती है।अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व है दीवाली।
इस दिन दिया जलाना घर की सजावट करना खरीददारी आतिशबाजी चलाना पूजा करना उपहार देना दावत व मिठाइयां बाँटना आदि कार्य किये जाते हैं।
दीवाली का प्रारम्भ धन तेरस से होता है इस दिन लोग धन की पूजा करते है। गहने आभूषण सोने चांदी हीरे जवाहरात की पूजा करते है। अगले दिन चौदस को रूप रंग निखारते है। स्त्री पुरूष सजते संवरते है। नये परिधानों में सजते हैं। अगले दिन दीवाली मनाते हैं।दीवाली के दो दिन बाद भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। 
दीवाली का सामाजिक धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है।दीपावली को दीपोत्सव भी कहते हैं। तमसो मा ज्योतिर्गमय यानी अंधेरे से ज्योति यानी प्रकाश की ओर जाइए यह उपनिषदों की आज्ञा है। दीवाली हिन्दू जैन बौद्ध सिख सभी धर्मों के लोग उत्साह से मनाते हैं। बाज़ारों की सजावट देखते ही बनती है।जैन धर्म के मानने वाले इसे मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं।महावीर का मोक्ष दिवस ये इसी दिन मनाते हैं। सिख समुदाय के लोग बन्दी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं।
हम भारतवासी मानते है कि सत्य की सदा जीत होती है । असत्य सदा हारता है। झूँठ का नाश होता है। असुरों का नाश हुआ।रावण मारा गया। विजातीय प्रवृतियों का अंत हुआ। आज जरूरत है। मन के रावण को जलाने की। काम क्रोध लोभ मोह मद को जलाने की। बुराइयों को खत्म करने की।इन बुराइयों पर विजय प्राप्त करना ही वास्तविक युद्ध है।सजातीय प्रवृतियां तभी आती है।
दीवाली से पंद्रह दिन पहले ही लोग घर की साफ सफाई करने लग जाते हैं। घरों को सजाया जाता है। लक्ष्मी का स्वागत करते हैं।दीवाली भारत मे ही नहीं श्रीलंका सिंगापुर पाकिस्तान थाईलैंड मलेशिया आस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड संयुक्त अरब अमीरात इंडोनेशिया मोरिशस केन्या तंजानिया अफ्रीका गुयाना फिजी सूरीनाम त्रिनिदाद अमेरिका आदि में भी हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
दीवाली का त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है। बाजार हाट घर सब सजाये जाते हैं। इस दिन लक्ष्मी जी के साथ धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। घर मे रंगोली बनाई जाती है। शुभ मुहूर्त में सोने चांदी खरीदी जाती है। सोने चांदी के बर्तन गहने खरीदे जाते हैं।घर के लिए लोग इस दिन नये सामान खरीदते हैं।
दीवाली के चौथे दिन कुसं अन्नकूट करते है। गोवर्धन की पूजा करते हैं। छप्पन भोग बनाया जाता है। पांचवे दिन बहन भाई को तिलक लगाकर भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है।विवाहित बहन भाई को भोजन पर आमंत्रित कर हर्षोल्लास से भाई दूज मनाती है।
दीपावली वास्तव में मिलन का त्योहार है।सभी अपनों से इस दिन मिलते हैं। खुशी से त्योहार मनाते हैं।आज की भाग दौड़ की ज़िंदगी मे ऐसे त्योहार आपसी प्रेम बढ़ाते हैं। रिश्तों में मिठास भरते हैं।सभी परिवारजन एक दूसरे से दिल से जुड़ते है। आपस मे मिल लेते गैन।रिश्ते मजबूत बन जाते हैं। बैरभाव मनमुटाव सभी दूर हो जाते हैं।ये त्योहार रिश्तो में आई दूरियों को कम कर देते हैं।बुजुर्ग व्यक्ति जिन्होंने पूरे परिवार को जोड़ने का काम किया उन्हें आज के दिन बड़ी खुशी मिलती है। पूरे परिवार के साथ मिलकर।
दीपावली से व्यापारी नया वर्ष मानते हैं।साल भर का लेखा जोखा खत्म कर वे नई रोकड़ खाता बही बनाते हैं। पूजा करते हैं।दीपावली तक पुराना लेन देन का ये निपटारा कर लेते हैं।
लेखक कवि कलम की पूजा करते है। कलम दवात की पूजा करते हैं। इस दिन नई कलम यानी नया पेन डायरी बनाते हैं।
दीपो की अवली यानी पंक्ति सजाई जाती है । इसे दीवाली दीपावली या जश्न ए चिराग भी कहा जाता है। इस दीवाली को हम कुछ ऐसे मनाएं खुदरा व छोटे विक्रेताओ से सामान खरीदें,इलेक्ट्रिक झालरों की जगह दीपों का अधिक उपयोग करें,गरीबों में उपहार व आवश्यक वस्तुएं बांटे,हरित दीवाली मनाएं,पटाखों के प्रतिबंध के विषय मे लोगों में जागरूकता लाएं,। इन सब बातों का ख्याल रखकर दीवाली को हम मनमोहक व समृद्ध बना सकते हैं।बढ़ते प्रदूषण को कम कर सकते हैं।लोगों के लिए श्वांस लेना मुश्किल हो रहा है ऐसे में प्रदूषण को रोकने की जरूरत है।
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राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित"
कवि,साहित्यकार
श्रीराम कॉलोनी भवानीमंडी, जिला झालावाड़ (राजस्थान)

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जीवन एक उत्सव है (कविता) - लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

जीवन एक उत्सव है
(कविता)
जीवन को उत्सव सदृश मनाएं,
सच राह पर हम चलते जाएं।
उमंग और उल्लास हो मन में,
जीवन में हम नित ख़ुशियाँ पाएं।।

विषाद और रोष को तजकर,
उत्सव जैसा प्रेम दिखाएं।
भाई चारा को दें सदैव महत्व,
सद्कर्मों को हम करते जाएं।।

सत्य के नव प्रतिमान गढ़े,
पर्वत जैसे रास्ते पर चढ़े।
ख़ुद नव पथ का निर्माण करें,
विफलता को न दूजे पर मढ़े।।

उत्सव सा जीवन में हो रौनक,
ग़म को हम भुलाना सीखें।
भूत से सीख वर्तमान सवांरे,
जीवन में नया इतिहास लिखें।।

परिश्रम में हम सफलता पाएं,
उत्सव जैसा माहौल बनाएं।
जीवन में खिले हो इंद्रधनुष,
विविध रंग से जीवन महकाएं।।

हम जीवन से बस! प्रेम करें,
अपने त्रुटियों पर मनन करें।
अपनों में बाँटे ख़ुशियों को,
जीवन में उत्सव का रंग भरें।।
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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
स्थायी पता--ग्राम-कैतहा,पोस्ट-भवानीपुर, जिला-बस्ती 272124 (उत्तर प्रदेश)
अस्थायी निवास--C/O श्रीमती मिथिलेश श्रीवास्तवा, मोहल्ला-बैरिहवा(सिमरन पैराडाइस होटल के पीछे)
पोस्ट-गांधी नगर, जिला-बस्ती 272001(उत्तर प्रदेश)
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होड़ (कहानी) - वंदना भटनागर

होड़
(कहानी)
आज अभिज्ञान को ऑफिस से अपने घर पहुंचने में बहुत देर हो गई थी ।उनकी पत्नी ऐश्वर्या ने उनके आते ही प्रश्नों की झड़ी लगा दी थी ।वह बड़े बुझे मन से बोले "हमारे साथी विजय कि आज कार्यालय में ही तबियत खराब हो गई थी ।हम उन्हें लेकर तुरंत ही अस्पताल पहुंचे पर कोई फायदा नहीं हुआ कुछ ही घंटों में उन्होंने दम तोड़ दिया ।फिर सारी कार्यवाही पूरी करके उनके शव को उनके घर पर पहुंचा कर आये। उनकी आकस्मिक मृत्यु से सभी स्तब्ध थे।"मैं तुम्हें फोन करके बताना चाह रहा था पर वहां सिग्नल ही नहीं आ रहे थे।
ऐश्वर्या बोली" कौन कौन है उनके परिवार में"
अभिज्ञान बोले बस अब तीन लोग रह गये हैं दो बच्चे और उनकी पत्नी।लडकी तो अभी आठवीं में ही पढ़ रही है,और लड़के ने अभी बी.एस.सी.पूरी करी है।उनकी तो वाइफ भी पढ़ी लिखी नहीं हैं ज़्यादा जो कहीं नौकरी भी कर लें।अब तो अनुकम्पा के आधार पर नौकरी भी बड़ी मुश्किल से मिलती है पर मैं उसके लड़के की नौकरी के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दूंगा।
ऐश्वर्या ने खाना लगाने के लिए पूछा तो अभिज्ञान ने मना कर दिया और फिर नहा धोकर बिना खाये पिये ही लेट गये। उन्हें विजय के साथ नौकरी करते हुए पन्द्रह साल हो गये थे,वो एक नेकदिल इंसान थे।उनके साथ बिताये गये सारे पल उन्हें रह-रहकर याद आ रहे थे।
कुछ दिन बाद ही अभिज्ञान ने विजय के सारे पेपर जल्दी से तैयार करवा दिये ताकि उनके फंड का पैसा एवं पेंशन उनके परिवार को मिल सके। यूनियन में अच्छे पद पर होने का यह फायदा उनको ज़रूर मिला ।ये काम होने पर वो उसके बेटे की नौकरी के लिए भागदौड़ में लग गए। बार-बार उन्हें हेड ऑफिस के लिए दूसरे शहर जाना पड़ता था।पर वो अपने टाइम और पैसे की भी परवाह नहीं करते थे। बस उनका एक ही ध्येय था कि विजय के बेटे को नौकरी मिल जाए। एक बार अभिज्ञान की तबियत बहुत खराब थी और उनको विजय के बेटे के काम के लिए हेड ऑफिस से बुलवाया गया था तब उन्होंने ऑफिस में कार्यरत दूसरे यूनियन कर्मचारी से वहां जाने का आग्रह किया तो वह उनसे बोला अभिज्ञान जी मैं आपकी तरह बेवकूफ नहीं हूं जो किसी और के लिए अपना टाइम और पैसा दोनों लगाऊं। उसकी बात सुनकर उनका मन कसैला हो गया था। फिर तबियत खराब होने के बावजूद भी वो खुद ही गए और अब की बार उसकी नियुक्ति की खुशखबरी लेकर आए। कुछ समय बाद जब विजय के बेटे ने ऑफिस ज्वाइन किया तो स्टाफ के सभी लोग उसके पास आकर ऐसे जता रहे थे जैसे उसको नौकरी दिलवाने में उन्हीं का हाथ हो। सबमें श्रेय लेने की होड़ लगी थी। जबकि अभिज्ञान इन सब बातों से बेखबर अपने काम में मशगूल थे ।उन्हें तो बस इस बात की खुशी थी कि उनकी मेहनत सफल हुई। विजय का बेटा सारी असलियत जानता था ।वो अभिज्ञान के पास गया और उनके चरण स्पर्श करके बोला अगर आप इतनी कोशिश ना करते तो मुझे नौकरी मिलना संभव नहीं था । आपका यह एहसान मैं ताउम्र याद रखूंगा ।अभिज्ञान उसकी बात सुनकर भावुक हो गए और बोले अपनों पर कोई एहसान नहीं किया जाता और ऐसा कह कर उन्होंने उसे अपने गले से लगा लिया ।बाकी स्टाफ वाले अब अपना सा मुंह लेकर रह गए।
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वन्दना भटनागर
मुज़फ्फरनगर (उत्तर प्रदेश)


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दिवाली (कविता) - नन्दनी प्रनय तिवारी

दिवाली
(कविता)
इक दीप जलाना तुम भी
जो जग को रौशन कर दे,
वो प्रकाश मन में भरना
जो जीवन जगमग कर दे।

देख तुम्हें पुलकित होते
हर कलियाँ मुस्काऐंगी,
धुनें रसीली छेड़े भौरा
गुन-गुन गुन-गुन कर के।

सांझ सवेरे कोयल कूके
हर मन में हूक उठे,
पंछी भी उड़ चले घोसले
अपने डग भर कर के।

साथी तुम भी एक कदम
बढ़ाओ अपने घर को,
और दिवाली कर दो रौशन
सबसे मिल-जुल कर के।
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नन्दनी प्रनय तिवारी ©®
रांची  (झारखंड)
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बच्चो!पटाखे फोड़ने और चलाते समय सावधानी रखें (आलेख) - नरेन्द्र श्रीवास्तव

बच्चो!पटाखे फोड़ने और चलाते समय सावधानी रखें
(आलेख)
बच्चो!दीपावली का त्यौहार नजदीक है और आप सभी इस त्यौहार पर खूब पटाखे फोड़ने के लिये बैचेन होगे और अपने मम्मी-पापा से पटाखे दिलाने का वायदा ले रहे होंगे।
बच्चो! वैसे तो मैं पटाखे फोड़ने को केवल और केवल रुपयों की बरबादी ही मानता हूं ,पर मैं जानता हूं और मानता हूं बच्चे मेरी क्या अपने पालकों की भी इस राय से सहमत नहीं होंगे।
इसीलिये मैं पटाखे फोड़ने या चलाते समय रखने वाली सावधानियों को लेकर सचेत तो करना ही चाहूंगा।
1.बच्चो! पटाखे फोड़ते समय सबसे पहले आप अपने कपड़ों पर जरूर ध्यान देना। ज्यादा ढीले या ज्यादा चुस्त और सिन्थेटिक रेशे वाले कपड़े पहनकर पटाखे नहीं फोड़ना।
2.पटाखे कभी भी हाथ में रखकर ही जलाने का प्रयास नहीं करना।
3.पटाखे में आग लगाने के बाद यदि उसमें आग पकड़ने में देरी हो रही हो तो उसे फिर से जलाने के लिये बहुत सोच-विचारकर ही नजदीक जाना। कई बार ऐसा संयोग बनता है कि हम समझते हैं कि फटाके में आग नहीं पकड़ी है और हम देखने चले जाते हैं,जबकि वह धीरे-धीरे आग पकड़ रहा होता है और ऐसा संयोग बनता है कि हम नजदीक गये या उसे जरा भी छुआ और वह फट जाता है।जिससे हमारे साथ कुछ भी अनहोनी सकती है।
4.कुछ पटाखे ऐसे होते हैं जो जलने के बाद एक सीध में,सीधे भागते हैं।ऐसे पटाखों का मुंह इस प्रकार का रखें कि वह किसी के घर,भीड़ की ओर ना हो।बेहतर होगा कि उसका मुँह आसमान की तरफ हो,उस दिशा में भी इस बात का ध्यान रखें,कि उसकी दिशा में बिजली का तार ना पड़े।
5.पटाखे फोड़ते या चलाते समय छोटे बच्चों को दूर रखें।
6.पटाखे में आग लगाने के बाद दौड़ने के लिये खाली रास्ता बना कर जगह और दिशा को तय कर लें ।
7. घर में जहां सामान रखा है,घर के अन्य सदस्य या अन्य दर्शक खड़े हैं ऐसी जगह छोड़कर पटाखे फोड़ें या चलावें।
8.अच्छा और उचित रहेगा कि घर के किसी बड़े-बुजुर्ग की उपस्थिति में,उनके मार्गदर्शन में
आप पटाखे फोड़ें या चलावें।
9. देर रात को या देर रात तक पटाखें ना चलावें।
10.खतरनाक, ज्यादा तेज आवाज करने वाले, इधर-उधर भागने वाले पटाखें हरगिज ना फोड़ें।
11. किसी के साथ वैमनस्यता या मजाक में उसके नजदीक पटाखें ना फोड़ें।
12. पटाखें फोड़ते या चलाते समय बचाव के साधनों की व्यवस्था का भी ध्यान जैसे बड़े बरतन में रेत,पानी,कंबल आदि की व्यवस्था रखा जावे तो उचित रहेगा और समझदारी होगी।
13. सजग और सावधानी रखते हुये पटाखे फोड़ें।
14.अति उत्साह ,जल्दबाजी या पटाखे की शैली की जानकारी लिये बिना पटाखे न फोड़ें।
15.एक बार में एक ही सदस्य एक ही पटाखे फोड़े या चलावे।
16.पटाखे फोड़ने की फोटो या सेल्फी लेने का शौक,शेखी या जिद ना करें।
17. आप जहां पटाखे फोड़ या चला रहे हों,उसी के पास में घर का कोई अन्य सदस्य कोई दूसरा कार्य कर रहा हो जैसे कोई महिला सदस्य बहन,भानजी, भतीजी रंगोली बना रही हो,दीये सजा रही हो तो वह कार्य पूरा कर लेने दे,तभी पटाखे फोड़ें।
इसीलिये मेरा मानना है पटाखे फोड़ना या चलाना सरल और सहज भले ही लगे,जरा सी असावधानी या भूल के घातक परिणाम हो सकते हैं और त्यौहार का पूरा मजा बिगड़ सकता है।
आशा है,इन बातों के अलावा भी कोई और बातें या सावधानियां बताने से रह गयीं हों,उन सब को ध्यान में रखते हुये त्यौहार का आनंद लेंगे।
शुभ दीपावली।
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संपर्क 
नरेन्द्र श्रीवास्तव
पलोटनगंज, गाडरवारा
जिला-नरसिंहपुर, म.प्र. 487551
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