*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Monday, 9 November 2020

हो जख्म दिल में (ग़ज़ल) - राघवेंद्र सिंह 'रघुवंशी'

 

हो जख्म दिल में
(ग़ज़ल)

हो जख्म दिल में लाख मुस्कुराना चाहिए।
आंसू भी अगर आएं तो छुपाना चाहिए।।

कितना भी गम हो दर्द हो इस जिंदगी में पर।
अफसुर्दगी चेहरे में नहीं आना चाहिए।।

अपना तजुर्बा मैं बताता हूं सभी सुनो।
बिन सोचे समझे दिल नहीं लगाना चाहिए।।

गम का खजाना दिल के तहखाने में यूँ रखो।
जो सामने दुनिया के नहीं आना चाहिए।।

जब दर्द हद से बढ़ जाए छुपकर के रोने लेना।
कुछ जख्म दिल के दिल में ही दफनाना चाहिए।।

जिस दिल में वर्षों से मैं रोज आता जाता हूं।
अब मुझको भी लगता है नहीं जाना चाहिए।।

शायद अब हो चुका है इख्तियार गैर का।
अब मुझको उनपे हक नहीं जताना चाहिए।।

हम तो नुमाइंदे हैं मोहब्बत के 'रघुवंशी'।
हमें प्यार दो हमको नहीं खजाना चाहिए।।
-०-

पता- 
राघवेंद्र सिंह 'रघुवंशी'
हमीरपुर (उत्तर प्रदेश)


-०-

राघवेंद्र सिंह 'रघुवंशी' जी की अन्य रचना पढ़ने के लिए शीर्षक चित्र पर क्लिक करें.

***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 


सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ