पापा किस के चहेते?
(बाल कहानी)
गोपाल जी के दो लड़के तथा एक लड़की थी। बडे लड़के का नाम था
मयूर तथा बिचले का नाम था रोहित।सब से छोटी गुडिया का नाम था आरती।
मयूर हमेशा कहा करता था,"पापा मेरे
चहेते।"
रोहित भी कहा करता,"पापा मेरे
चहेते।"
छोटी आरती पीछे क्यूं रहेगी? वह भी
कहा करती,"पापा मेरे चहेते।"
इस विषय को लेकर यह तीनो बहनभाई आपस मे लड़ा करते थे। बच्चों
की लड़ाई देखकर गोपाल जी हँस देते और कहते,"लड़ाई मत करो।
एक दिन मैं तुम सब का इम्तिहान लूँगा। फिर पता चलेगा,मैं सब
से ज़्यादा किस का चहेता हूँ।
एक दिन गोपाल जी का सर बहुत दर्द देने लगा। सर पकड़कर गोपाल
जी बिछाने पर लेटे रहें। ऑफिस मे नही गये।
मयूर पाठशाला से आया और कहने लगा,"पापा, आप का
सर बहुत दर्द दे रहा है ना? आप बहुत काम करते हैं। इसी वजह से आप के
सर मे दर्द हो रहा है। मैं बड़ा बनूंगा और आप की ख़ूब सेवा करूंगा। अच्छा, मैं चलता
हूँ। मुझे दोस्त के पास जाना है। रोहित दवाई ला कर देगा आप को।" इतना कह कर
मयूर तुरंत दोस्त के पास चला गया।
रोहित स्कूल से लौटा। पापा को बिछाने पर लेटा देख, कहने
लगा,"पापा आपकी तबियत ठीक नही।अब मुझे गेंद कौन ले कर देगा? मुझे
पैसे दे दो। मैं ही बाजार जा कर गेंद लाता हूँ।"
पापा से पैसे ले कर रोहित दौडता हुआ गेंद लेने चला गया।
कुछ देर बाद आरती स्कूल से घर लौटी। पापा को लेटा देखकर
पापा के पास आ बैठी और कहने लगी,"पापा, क्या
आप के सर मे दर्द है? ठहरो, मैं
आपके सर पर बाम लगा देती हूँ। मम्मी से अद्रक की चाय बनाकर ले आती हूँ।" ऐसा
कहकर आरती कीचन की ओर चल पड़ी। थोड़ी देर बाद उसने पापा को चाय ला कर दी। पापा के सर
पर बाम मलते हुये पापा से मीठी मीठी बातें करने लगी।
पापा मन हि मन खुश होकर मुस्कुराने लगे।
छोटे दोस्तों, अब आप ही
बताईये, पापा सचमुच किस के चहेते थे?
उद्धव भयवाल
१९, शांतीनाथ हाऊसिंग सोसायटी
गादिया विहार रोड, शहानूरवाडी, औरंगाबाद – ४३१००९ {महाराष्ट्र}
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