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Monday 24 August 2020

गणेश चतुर्थी (गीत) - सपना परिहार


गणेश चतुर्थी
(गीत)
भाद्र पक्ष की चतुर्थी
जन्म हुआ गजराज
रंग -गुलाल उड़ रहा
और बज रहा है साज ।

प्रथम पूज्य को शीश झुकाऊ
गौरी पुत्र गणेश
भालचंद्र है जिनके सिर  पर
पिता है तुम्हारे महेश ।

एक सौ आठ है नाम तुम्हारे
तुम उनसे सुशोभित हो,
मूसक वाहन है तुम्हारी सवारी
तुम सबके मन मोहित हो ।

कार्तिकेय के भ्राता अनुज
रिद्धी-सिद्धि संग विराजत हो,
शुभ-लाभ के बिना अधूरे
पिता उनके कहावत हो।

हर वर्ष में ग्यारह दिवस तुम
हम सबके घर में आते हो ,
अगले बरस फिर आने का वादा
तुम करके चले जाते हो।

हर शुभ मंगल कार्य में
तुम्हे ही पूजा जाता है
जीवन में कुछ  भी संकट हो
जिह्वा पर नाम तुम्हारा ही आता है।
-०-
पता:
सपना परिहार 
उज्जैन (मध्यप्रदेश)


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विनय सुनो मेरी (कविता) - रीना गोयल

विनय सुनो मेरी
(कविता)
हे! दुख हरता हे!सुख करता ,विनय सुनों मैं दास तुम्हारा ।।
आया हूँ अब शरण तुम्हारी ,काटो सकल कलेश हमारा ।।

शिव गौरी के राज दुलारे ,दीन दुखी के रखवारे ।
रिद्धि सिद्धि के दाता प्रभु जी ,जग पालक,पालन हारे ।
हृदय लुभाती भोली सूरत ,अनुपम है परिवेश तुम्हारा ।।
हे! दुख हरता हे!सुख करता ,विनय सुनों मैं दास तुम्हारा।।


सब देवों में प्रथम पूज्य हो ,मंगल करते मंगलकारी ।
अति प्रिय भोग तुम्हें मोदक का ,मूषक राजा बने सवारी ।
सकल भुवन है चरण ;शरण में ,जब जब हो आदेश तुम्हारा ।।
हे! दुख हरता हे!सुख करता ,विनय सुनों मैं दास तुम्हारा।।

थाल सजा हम करें आरती ,द्वार दया का प्रभु अब खोलो ।
लम्बोदर,गणपति,गणनायक,सारे मिलकर जय हो बोलो ।
दशों दिशा दिगपाल जहाँ में , है सत्कार विशेष तुम्हारा ।।
हे! दुख हरता हे!सुख करता ,विनय सुनों मैं दास तुम्हारा।।
-०-
पता:
रीना गोयल
सरस्वती नगर (हरियाणा)

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जय गणेश (कविता) - अतुल पाठक 'धैर्य'



जय गणेश
(कविता)
नया काम कोई भी करता,
जय श्रीगणेश है नाम वो लेता।

सबसे पहले पूजा जाता,
वह हैं ऋद्धि सिद्धि के दाता।

मोदक उनको बहुत है भाता,
हम सबके वह भाग्यविधाता।

मूषक है गणपति की सवारी,
पूजें घर-घर नर और नारी।

शिव पार्वती के राजदुलारे,
गणपति जी सबके हैं प्यारे।

भक्ति करो मन से गणेश की,
हरते हैं सबके दुःख क्लेशजी।

देवलोक के तुम सरताज,
शत-शत नमन करें हे विघ्नराज।
-०-
पता: 
अतुल पाठक  'धैर्य'
जनपद हाथरस (उत्तरप्रदेश)

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