(गीत)
भाद्र पक्ष की चतुर्थी
जन्म हुआ गजराज
रंग -गुलाल उड़ रहा
और बज रहा है साज ।
प्रथम पूज्य को शीश झुकाऊ
गौरी पुत्र गणेश
भालचंद्र है जिनके सिर पर
पिता है तुम्हारे महेश ।
एक सौ आठ है नाम तुम्हारे
तुम उनसे सुशोभित हो,
मूसक वाहन है तुम्हारी सवारी
तुम सबके मन मोहित हो ।
कार्तिकेय के भ्राता अनुज
रिद्धी-सिद्धि संग विराजत हो,
शुभ-लाभ के बिना अधूरे
पिता उनके कहावत हो।
हर वर्ष में ग्यारह दिवस तुम
हम सबके घर में आते हो ,
अगले बरस फिर आने का वादा
तुम करके चले जाते हो।
हर शुभ मंगल कार्य में
तुम्हे ही पूजा जाता है
जीवन में कुछ भी संकट हो
जिह्वा पर नाम तुम्हारा ही आता है।
-०-
जन्म हुआ गजराज
रंग -गुलाल उड़ रहा
और बज रहा है साज ।
प्रथम पूज्य को शीश झुकाऊ
गौरी पुत्र गणेश
भालचंद्र है जिनके सिर पर
पिता है तुम्हारे महेश ।
एक सौ आठ है नाम तुम्हारे
तुम उनसे सुशोभित हो,
मूसक वाहन है तुम्हारी सवारी
तुम सबके मन मोहित हो ।
कार्तिकेय के भ्राता अनुज
रिद्धी-सिद्धि संग विराजत हो,
शुभ-लाभ के बिना अधूरे
पिता उनके कहावत हो।
हर वर्ष में ग्यारह दिवस तुम
हम सबके घर में आते हो ,
अगले बरस फिर आने का वादा
तुम करके चले जाते हो।
हर शुभ मंगल कार्य में
तुम्हे ही पूजा जाता है
जीवन में कुछ भी संकट हो
जिह्वा पर नाम तुम्हारा ही आता है।
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