एक दिन सब ठीक होगा
(कविता)
मेरी कविता पलायन है
यथार्थ से,
असफलताओं से,
निराशाओं से,
उस झूठे
दिलासे से,
जो कहता है
एक दिन
सब ठीक होगा।
मेरी कविता दिशा है
जिस ओर
जाना चाहता है...
व्याकुल मन,
हर दिन की
नई उलझन,
और वह चिंतित क्षण
जो कहता है
एकदिन सब ठीक होगा।
मेरी कविता मेरी प्रेरणा है
जिसने मुझे
आश्रय दिया,
स्वार्थी भीड़ से
हाथ खींच कर
उबार लिया
हर उस झूठे
वादे से बचा लिया
जो कहते थे
एक दिन सब ठीक होगा।
मेरी कविता मेरा पहला प्रेम है
जिसने मुझसे
मेरी पहचान कराई
सपनों के सच
होने की राह
दिखलाई
हर दिन एक
नई उम्मीद जगाई
मेरी कविता आज
मेरा हाथ थाम कर
कह रही है
एक दिन सब ठीक होगा।
-०-
सविता दास 'सवि'
शोणितपुर (असम)
बाह! बहुत सुन्दर रचना है आदरणीयाा! आपको हार्दिक बधाई है।
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