(मुक्तक)
तना धरा पर -
घना कुहासा ।
नयनों -
मोतियाबिंद हुआ है ।
समक्ष सभी के -
बस धुआं है ।
दिखे आंख से -
नहीं ज़रा - सा ।
सड़क बीच -
जो लाश पड़ी है ।
रात उसी पर -
बर्फ गिरी है ।
बचपन कांपे -
आज फुहा - सा ।
जिनके तन पर -
मफ़लर - जर्सी ।
उनके ताने -
सुनती सर्दी ।
मौसम पाज़ी -
आज मुआ - सा ।
-०-
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