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Sunday, 23 February 2020

कुहासा (मुक्तक) - अशोक 'आनन'


कुहासा
(मुक्तक)
तना धरा पर -
घना कुहासा 
       नयनों -
       मोतियाबिंद हुआ है 
       समक्ष सभी के -
       बस धुआं है 
दिखे आंख से -
नहीं ज़रा - सा 
       सड़क बीच -
       जो लाश पड़ी है 
       रात उसी पर -
       बर्फ गिरी है 
बचपन कांपे -
आज फुहा - सा 
       जिनके तन पर -
       मफ़लर - जर्सी 
       उनके ताने -
       सुनती सर्दी 

मौसम पाज़ी -

आज मुआ - सा 
-०-
पता:
अशोक 'आनन'
शाजापुर (म.प्र.)

-०-




***
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