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Friday 4 December 2020

आज का अर्जुन (लघुकथा) - बजरंगी लाल यादव

   

आज का अर्जुन
(लघुकथा)
   द्रोणाचार्य पांडव और कौरव राजकुमारों के संग राजधानी श्रीनगर में एक विशेष शिविर के आयोजन को लेकर पहुंचे थे, जहां कडा़के की ठंड पड़ रही थी। द्रोणाचार्य ने चिनार के ऊंचे पेड़ पर, एक माटी का कृत्रिम पक्षी बनाकर रख दिया था। और बारी-बारी से सभी नन्हे राजकुमारों से निशाना लगवाते रहे। मगर, किसी ने भी द्रोण के प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। क्योंकि, किसी को भी कृत्रिम पक्षी दिख ही नहीं रहा था। तभी द्रोणाचार्य ने धृतराष्ट्र के श्रेष्ठ पुत्र दुर्योधन को बुलाकर उस पेड़ पर कृत्रिम पक्षी के बारे में पूछा की 'दुर्योथन! तुम्हें पेड़ पर क्या दिखाई दे रहा है',  तो दुर्योथन ने हंसते हुए कहा- " गुरुदेव! मुझे तो पेड़ पर कोई पक्षी नजर नहीं आ रहा है। हाँ...! पेड़ के पीछे मुझे बर्फ की पहाड़ियां दिख रही है, जहां कुछ पक्षी उड़ रहे हैं"
फिर द्रोण ने पूछा- " दुर्योधन, क्या तुम्हें पहाड़ियों के पीछे भी कुछ दिख रहा है?"
" हांँ! गुरुवर मुझे, पहाड़ियों के पीछे पाकिस्तान का झंडा दिख रहा है" दुर्योधन ने उत्साहित होकर कहा।
" ठीक है! अब तुम जाओ?" दुर्योधन के जाने के बाद द्रोणाचार्य ने अपने सबसे प्रिय शिष्य अर्जुन को बुलाकर पूछा- " अर्जुन! तुम्हें क्या इस पेड़ पर कोई पक्षी दिख रहा है?"
अर्जुन ने सबसे पहले द्रोण के पैर छुए और पेड़ पर धनुष से निशाना लगाकर कहा- " गुरुवर, मुझे माफ करें? क्योंकि पेड़ पर कोई कृत्रिम पक्षी है ही नही! बल्कि पेड़ के डाल पर अपने देश का राष्ट्र ध्वज लगा है। और बर्फ से दबी पहाड़ियों के पीछे पाकिस्तान में भी मुझे तिरंगा लहराता दिख रहा है " अर्जुन के सार्थक उत्तर से द्रोणाचार्य स्तब्ध थे और संतुष्ट भी...!
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पता:
बजरंगी लाल यादव
बक्सर (बिहार)


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एलएस स्ट्रोन की भारत यात्रा (कहानी) - ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’

 

एलएस स्ट्रोन की भारत यात्रा
(कहानी)
वुहान से हवाईजहाज में सवार हुआ एस स्ट्रोन कोरोना वायरस ने कहा, '' एल स्ट्रोन ! क्यों न भारत की सैर की जाए ?''

'' हां यार ! सही कहते हो. भारत एक खुबसूरत देश है,'' एस स्ट्रोन कोरोना वायरस ने कहा, '' उस व्यक्ति को देखो. वह व्यक्ति भारत जा रहा है. उसी पर सवार हो जाते हैं,'' कहते हुए एस स्ट्रोन हवा के झोंके के साथ उड़ा. सीधा उस के सिर के बाल पर सवार हो गया.

'' अरे ! इस का नाम तो बुहानू है,'' एल ने उस व्यक्ति का पासपोर्ट देखते हुए कहा.

'' हमें नाम से क्या लेनादेना है ? हमें तो इस के जरिए भारत की सैर करना हैं, '' एस स्ट्रोन ने हवाईजहाज के बाहर देखते हुए कहा. तब तक हवाईजहाज वुहान से उड़ चुका था.

एल और एस दोनों खुश थे. उन्हें भारत की सैर करने का सुख मिलने वाला था. इस कारण वे बुहानू के साथ भारत आ रहे थे. मगर बुहानू के सिर पर सवार होने से पहले ही वे पूरे हवाईजहाज में अपने बहुत सारे वायरस छोड़ चुके थे.

हवाईजहाज तेजी से उड़ रहा था. कुछ ही देर में भारत आ चुका था. बुहानू जल्दी में था. उस ने हवाईअड्डे पर जांच नहीं करवाई. वह सीधा अपने घर पहुंचा गया. मगर, वह सावधान था. घर पर पहुंच कर उस ने आवाज दी, '' अरे बेक्टो बेटा ! तुम कहां हो ?''

तभी घर के अंदर से आवाज आई, '' पापाजी ! दरवाजा खुला है. अंदर आ जाओ.''

इस पर बुहानू बोला, '' बेटा ! मैं अंदर नहीं आ सकता हूं. पहले तुम नहाने का पानी और साबुन दो. मैं बाहर बैठ कर नहाऊंगा. उस के बाद घर के अंदर आऊंगा.''

यह सुन कर एस स्ट्रोन चौंका. उस ने कहा, '' अरे एल! सावधान हो जाओ. यह व्यक्ति तो नहा कर अंदर जाएगा. साबुन लगते ही हम मर जाएंगे. इसलिए अपना बचाव का उपाय सोच लो.''

'' जी हां, तुम सही कहते हो एस,'' एल ने कहा,'' तब क्या करें ?''

'' करना क्या है ?'' एस बोला, '' वह सामने दरवाजे का हैंडल है. उस पर उड़ कर बैठ जाते हैं. कम से कम मरने से बच जाएंगे.''

'' मगर, कैसे ?'' एल ने कहा तो एस बोला, '' अभी बताता हूं.'' कहते हुए एस ने बुहानू के माथे पर जोर से कांट लिया.

बुहानू के माथे पर तेज दर्द हुआ. वहां खुजली चली. उस ने अपने हाथ से माथे पर खुजालना शुरू किया. तब एल व एस उस के हाथ पर चढ़ कर बैठ गए. इस के बाद बुहानू ने दरवाजे का हैंडल पकड़ा. वहां रखा पानी लिया. तब तक एस व एल हैंडल पर जा कर चिपक चुके थे.

'' ओह ! बच गए, '' एल ने लंबी सांस ले कर कहा तो एस बोला, '' हां भाई. यदि हम सावधान न रहते तो मर जाते. यह व्यक्ति तो बहुत ही सावधान रहता है. हमें घर के अंदर तक जाने नहीं देना चाहता है.

'' यदि हम घर के अंदर नहीं जाएंगे तब तक दूसरे के शरीर में नहीं फैलेंगे. जब तक दूसरे के शरीर में नहीं फैलेंगे तब तक हम भारत की सैर कैसे कर पाएंगे?''

''ठीक कहते हो भाई. यदि हम सैर नहीं करेंगे तो हम भारत कैसे घुमेंगे. वैसे तो हमारे फैलाएं हुए कण यहांवहां फैल चुके है. जो काम हम नहीं करेंगे वे हमारी फौज करेगी,'' एल ने कहा, '' तुम तो जानते हो कि इस व्यक्ति के शरीर में घुस कर हम ने कितने विषाणुओं की फौज पैदा कर ली है.''

'' मगर, उन की बात मत करो,'' एस ने कहा, '' हमें भारत की सैर करना है. इसलिए मौक ढूंढ कर घर में घुसने की तैयारी रखो.''

'' जी भाई, मौका मिलते ही मैं यही करता हूं,''कहते हुए एल ने सामने देखा.घर में से एक लड़का बाहर आ रहा था. उसे देख कर एल चिल्लाया, '' वह देखो. वह लड़का हमारा आसान शिकार हो सकता है. हम उस पर सवार हो कर हमारी तादाद बढ़ा सकते हैं.''

तभी बुहानू ने चिल्ला कर कहा, '' बेक्टो ! वही रूक जाओ. इस दरवाजे के कूंदे को मत छूना. इस पर वायरस हो सकते हैं,'' बुहानू ने दरवाजा खोलते हुए कहा.

बेक्टो अंदर ही रूक गया. बुहानू ने दरवाजा खोला, ''जरा अंदर से सैनेटाइजर की शीशी ले कर आना. इस से कूंदा साफ करना पड़ेगा. यहां पर वायरस हो सकते हैं.''

यह सुन कर बेक्टो अंदर से सैनेटाइजर की शीशी ले कर आ गया.

'' इसे जमीन पर रख दो.'' बुहानू ने कहा. फिर जमीन से शीशी उठाई. उस में से दवा ली. दवा से कूंदा साफ करने लगा. तभी एल चिल्लाया,'' भाई ! यहां से उछलों. बुहानू की शर्ट कूंदे पर अड़ चुकी है. उस पर लग जाओ. अन्यथा, हम मारे जाएंगे.'' कहते हुए एल बुशर्ट पर कूद गया.

एस भी तैयार था. उस ने भी बुहानू के बुशर्ट पर छलांग लगा दी.

'' ओह ! बच गए.''

'' अब हम इस के साथ इस के घर में प्रवेश कर जाएंगे,'' एल ने कहा और वह खुश हो कर उछलनेकूदने लगा.

बुहानू ने घर के अंदर प्रवेश किया. तब उस ने अपने हाथ सैनेटाइजर से साफ किए. फिर वह बेक्टो को शीशी दे कर बोला, '' अब तुम्हारे हाथ भी इस से साफ कर लो.'' कहने के साथ उस ने बेक्टो को शीशी दी. तब तक एल हवा के झोंके से उड़ कर बेक्टो के हाथ पर चिपक चुका था.

'' जी पापाजी,'' बेक्टो ने कहा,'' मैं तो साबुन से हाथ धोऊंगा, '' कहते हुए वह स्नानघर में चला गया. वहां जा कर उस ने साबुन से हाथ धोए. इधर एल सावधान नहीं था. वह नहीं जानता था कि साबुन से हाथ धोने से क्या हो सकता है ? वह हाथ पर बैठा रहा.

मगर, यह क्या ? वह हाथ पर बैठाबैठा घबराने लगा. साबुन का झाग उस के लिए जहर था. उस ने एल के प्रोटीन का कवच को टुकड़ेटुकड़े कर दिया.

'' अरे बाप रे! यह क्या हो रहा है ?''वह चींख कर उछला. तब तक उस ने कई विषाणु बेक्टो के हाथ में फैला दिए थे. मगर, वे साबुन के झाग में फंस कर मर गए. मगर एल तुरंत उछल कर बुशर्ट पर चढ़ चुका था इसलिए बच गए.

बेक्टो हाथ धो कर कमरे में आया. उसे भूख लग रही थी. उस ने पापाजी को आवाज दी. दोनों खाना खाने लगे. एल को लगा कि यह अच्छा समय है. इस के खाने में कूद कर इस के शरीर में पहुंच सकता हूं.

यह सोच कर वह रोटी पर कूद गया. मगर, यही उस की सब से बड़ी गलती थी. बेक्टो ने रोटी का टुकड़ा उठाया. सब्जी में डूबा कर मुंह में डाल लिया. सब्जी गरम थी. रोटी गरम थी. उस की गरमी से उस का कवच पिघल कर नष्ट हो गया. वह गरमी से बिखर कर मर गया.

एस यह देख कर बहुत दुखी हुआ. उस ने सोचा था कि वे दोनों साथसाथ में भारत का भ्रमण करेंगे, मगर उस का सपना अधुरा रह गया था. इसलिए वह निराश हो गया. इस समय उस ने चुपचाप बुहानू के शर्ट पर पड़े रहना उचित समझा.

जैसे ही उसे मौका मिला वैसे ही वह बुशर्ट से नाक में घुस गया. उस ने नाक में घुस कर अपनी संख्या बढ़ाना शुरू कर दी. इस से बुहानू संक्रमित हो गया. मगर, वह सावधान था. उसे जैसे ही खांसी आई वह अस्पताल चला गया.

अस्पताल के कोरोना वार्ड में उसे भरती कर लिया गया. मगर, एस होशियार था. वह बुहानू के शर्ट से उछल कर एक नर्स के शरीर में चला गया. इस तरह उस ने अकेले ही अपनी भारत यात्रा शुरू कर दी. मगर, नर्स की रोगप्रतिरोधक क्षमता अच्छी थी उस के शरीर में स्थित श्वेत रक्त कणिकाओं ने उस का सफाया कर दिया.

एस ने नर्स में संक्रमण फैला दिया था. मगर, उस का अंत समय आ चुका था. वह धीरेधीरे कमजोर होने लगा. उस के भारत देखने का सपन अधुरा रह गया था. मगर, वह खुश था कि उस ने अपने विषाणुओं को भारत में फैलाना शुरू कर दिया था. मगर, उसे यही डर था कि यदि भारत वाले सावधानी रखेंगे तो उस की फौज भारत भ्रमण नहीं कर पाएंगी. वह चाहता था कि सभी भारतवासी घर से बाहर निकले ताकि वह फैल सकें. वे बारबार हाथ न धोएं ताकि सभी संक्रमण होते रहे.

यहां उलटा हो रहा था. सब भारतवासी घर में बंद है. वे बारबार हाथ धो रहे हैं. संक्रमित व्यक्ति से दूर रह रहे हैं. इसलिए उस की फौज परेशान थी.

इधर एक धीरेधीरे मर रहा था.''भले ही मेरा भाई एस ज्यादा खतरनाक है मगर, वह अपने वंशज को बढ़ा कर लोगों को संक्रमित करेगा तो सही,'' यह सोचते हुए एस की मौत हो गई. इस तरह एलएस की हवाईयात्रा भारत में आ कर पूरी हो गई. मगर, उन का सपना पूरे भारत घुमने का अधूरा रह गया.
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ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश'

पता- *पोस्ट ऑफिस के पास , रतनगढ़ जिला-नीमच (मध्यप्रदेश)
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फूल (बालगीत) - गोविंद भारद्वाज

  

फूल
(बालगीत)
खिल गये बगिया में सारे फूल,
मन भा गये सबको प्यारे फूल।
महक उठी सुंदर क्यारी-क्यारी,
अपने आंगन की यह फुलवारी।
तितली -भौंरे  सब  नाच उठे हैं,
फूल  बनी नन्ही  कलियां सारी।
धरती  पर  गगन के  तारे फूल,
खिल गये बगिया के सारे फूल।
हर कली लगे सबको अलबेली,
लुभाए    जूही    चंपा - चमेली।
संग  हवा  के  जब  झूमे  नाचे,
लगती सबको हर कली सहेली।
अपने  चमन के सब न्यारे फूल,
मन भा  गये सबको प्यारे फूल।
कुछ देवों  के सिर चढ़  इतराते,
कुछ गले का हार  बन इठलाते।
यश पा  जाते वो फूल जगत में,
जो शहीदों  की राह  बिछ जाते।
प्रकृति  के  राज   दुलारे   फूल,
खिल गये  बगिया के सारे फूल।
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पता:
गोविंद भारद्वाज
अजमेर राजस्थान


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जिंदगी की जंग (ग़ज़ल) - मृदुल कुमार सिंह

 

 जिंदगी  की  जंग
(ग़ज़ल )
जिंदगी  की  जंग है अब क्या कहूँ, 
कोन कितना संग है अब क्या कहूँ|

नफ़रते  यूँ   खेलकर   होली   गयी, 
जिंदगी  बे-रंग  है  अब  क्या  कहूँ|

हें  खड़े  अपने  सभी  मुंह फेर कर
हाल  थोड़ा  तंग है  अब  क्या कहूँ|

मजहबी   सारे   सियासी   हो  गये
पाठ  पूजा  भंग  हे  अब क्या कहूँ|

गुनगुनाया   गीत   जो   श्रंगार  का
हो गया  हुड़दंग है  अब  क्या कहूँ|

आदमी  तो  है  वही  उसका  मगर
आज  बदला ढंग है अब क्या कहूँ| 

संत भी पहुंचा  हुआ था जो 'मृदुल'
हो  गया सारंग  है  अब  क्या कहूँ|
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पता:
मृदुल कुमार सिंह
अलीगढ़ (अलीगढ़) 

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