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Friday, 4 December 2020

फूल (बालगीत) - गोविंद भारद्वाज

  

फूल
(बालगीत)
खिल गये बगिया में सारे फूल,
मन भा गये सबको प्यारे फूल।
महक उठी सुंदर क्यारी-क्यारी,
अपने आंगन की यह फुलवारी।
तितली -भौंरे  सब  नाच उठे हैं,
फूल  बनी नन्ही  कलियां सारी।
धरती  पर  गगन के  तारे फूल,
खिल गये बगिया के सारे फूल।
हर कली लगे सबको अलबेली,
लुभाए    जूही    चंपा - चमेली।
संग  हवा  के  जब  झूमे  नाचे,
लगती सबको हर कली सहेली।
अपने  चमन के सब न्यारे फूल,
मन भा  गये सबको प्यारे फूल।
कुछ देवों  के सिर चढ़  इतराते,
कुछ गले का हार  बन इठलाते।
यश पा  जाते वो फूल जगत में,
जो शहीदों  की राह  बिछ जाते।
प्रकृति  के  राज   दुलारे   फूल,
खिल गये  बगिया के सारे फूल।
-0-
पता:
गोविंद भारद्वाज
अजमेर राजस्थान


***
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1 comment:

  1. वाह! बहुत सुन्दर रचना है।

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