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Wednesday, 18 November 2020

मेरा बेटा (कविता) - सूर्य प्रताप राठौर

मेरा बेटा
(कविता)
मचल कर मेरा बेटा आ बैठा मेरे कंधे पर।
झूमा ऐसे मानो जमा आसन आसमान पर।।
पापा मैं तो आप से भी ऊँचाई पर आ गया।
कंधे पर बैठ कर ही सबसे ताकतवर हो गया।।
मेरे अंतर्मन में यूँ ही एक विचार पनप उठा।
बेटा यह तेरी नहीं शायद तेरे हृदय की है व्यथा।।
जब तक तू बैठा है मेरे इन बलिष्ठ कंधों पर।
महसूस करेगा तो खुद को इस धरा से ऊपर।।
किंतु जब तू इस धरातल की नींव पर आएगा।
बेटा तुझे हकीकत का अंदाजा यूँ ही हो जाएगा।।
खुद के पग पर खड़े होकर जब तू छू लेगा ऊँचाई।
नहीं रह पाएगी शायद यह प्रसन्नता तुझमें ही समाई।।
तात के कंधे तो होते ही हैं नभ के उमड़ते बादल।
जो छुपा कर रखते हैं मोती बूंदों के अपने अविरल।।
बाप का नाम ही अमूल्य धन है जीवन सुखी रहने को।
तपता दोपहरी फिर भी है छाँव बरगद-सा संतान को।।
जिस दिन यह साया हटेगा तेरे इस सुंदर सदन से। 
हट जाएगा ये स्नेह आवरण तेरे प्रफुल्लित जीवन से।।
-०-
सूर्य प्रताप राठौर
सांगली (महाराष्ट्र)

-०-



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23 comments:

  1. Nice lines ....
    Keep it up ❤
    Waiting for your next poem ��

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  2. Nice line
    Excellent
    👌👌👌👌
    💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥

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  3. Heart touching 👍🏻👍🏻👍🏻

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  4. बहुत ही लाजवाब रचना पढकर मन प्रसन्न हो गया.....🤗

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  5. बहुत ही लाजवाब

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  6. Very nice har baap ka kwaish or kaam se thake hue har baap ki khushi baaf ki choti si duniya ka sapno ka vah rajakumar beta nahi to or koun ho sakta hai... Heart touching

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  7. अप्रतिम..👍👌

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  8. Very impressive and excellent piece of work.

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  9. यह कविता अपने बच्चे केलिये एक अच्छा तोहफा है। हर बच्चे के सक्सेस के पीछे हमेशा एक बाप की भी उतनी ही credits होते है जितने एक माँ की। बहुत ही सुंदर कविता

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  10. 👍👍💐💐 बहुत सुंदर लिखा है सर, 'बेटी' पर बहुत सी कविताए है लेकिन आप ने बेटे पर बहुत सुंदर भावनाए प्रस्तुत की है, हर एक के भावनाओ आप मूर्त रूप दिया है.. 🙏🙏🙏🙏💐💐💐

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