दुमदार दोहे
(दोहा)
अमावस की रात रही, तारे लगते मीत
अँधेरे की हार हुई, गया उजाला जीत।।
खुशहाली हो चहुँओर,
नाचे छम छम भोर।।
अगले बरस आयेगा, खुशियों का त्योहार
सहालग फिर शुरु हुये, चलती जीवन धार।।
बजेगी अब शहनाई
द्वार पर दुलहिन आई।।
भारत भूमि की खातिर, वीर हुए बलिदान
उनके नाम का दीपक, ज्योतिमय दीपदान।।
अमर जवान,अमर देश
हो भारत का परिवेश।।
No comments:
Post a Comment