ऐ मेघ
(कविता)
ऐ मेघ!
जो तुम यूं उडे जा रहे हो,
जरा ये तो बताओ
कि कहां जाकर बरसने वाले हो ?
ऐ मेघ!
जरा ठहरो और
सुनो उसकी पुकार
जो कहलाते हैं अन्नदाता।
ऐ मेघ! गुजारिश है तुझसे
कि उम्मीद की किरण उन
आंखों को दिखा जो
अपनी लहराती फसल देखने को बेसब्र हैं ।
ऐ मेघ! विनती है तुझसे
कि बरसाओ अपनी कृपा
और करदो रोशन उस घर को
जो है सबके राशन का आधार।
-०-
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