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सुनील कुमार माथुर

सुनील कुमार माथुर
स्वतंत्र लेखक व पत्रकार
जोधपुर । सेवानिवृत लिपिक ( ग्रेड प्रथम  ) , स्वतंत्र लेखक, पत्रकार व पत्र लेखक सुनील कुमार माथुर का जन्म 25 जनवरी 1957 को एक मध्यमवर्गीय कायस्थ परिवार में हुआ आपके पिता जगन्नाथ माथुर एडवोकेट  जिन्होंने उतर रेलवे जोधपुर में अपनी सेवाएं दी और लाॅ असिस्टेंट के पद से सेवानिवृत हुए और उसके बाद जोधपुर में ही हाईकोर्ट में वकालत की      
                 सुनील कुमार माथुर ने सर प्रताप ब उ माध्यमिक विधालय जोधपुर में  हाई सैकणङरी तक की शिक्षा प्राप्त की इसके बाद बी ए व एम ए ( राजनीति शास्त्र ) तक की शिक्षा  जोधपुर विश्वविद्यालय जोधपुर में  प्राप्त की । माथुर पांच भाई व एक बहन हैं । इनमें से तीन भाईयों ने सरकारी नौकरी कर सेवानिवृत हुए जबकि सबसे छोटा भाई अरूण माथुर ने मात्र पत्रकारिता ही में ही अपनी सेवाएं दे रहे है ।
           शिक्षा प्राप्ति के बाद माथुर ने कंट्रोलर साप्ताहिक, दैनिक जनगण व दैनिक प्रतिनिधि  जोधपुर में अपनी सेवाएं दी  । लेखन व पत्रकारिता में गहन रूचि होने के कारण माथुर ने अनेक समाचारों पत्रों के संवाददाता के रूप में कार्य किया व कहानी लेखन महाविद्यालय, अम्बाला छावनी से पत्रकारिता में डिप्लोमा किया । माथुर ने भारत सरकार के स्काउट व गाइड मुख्यालय जोधपुर  में ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में बच्चों को नि शुल्क पत्रकारिता का प्रशिक्षण भी दिया
             पत्रकारिता में गहन रूचि होने के कारण माथुर ने अनेक समाचार पत्रों में अपनी सेवाएं दी वही उनके लेख स्थानीय, राज्य व राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओ में नियमित रूप से प्रकाशित होते रहते है । माथुर ने महापुरुषों की जीवनियां, महिला जगत, बाल जगत, सामाजिक विषयों, शिक्षा, धर्म और अध्यात्म, दहेज प्रथा व बाल विवाह के खिलाफ नियमित लेख लिखते है  और जन समस्याओं पर नियमित रूप से अपनी ठनठनी लेखनी चलाते रहते है ।
साहित्यिक प्रकाशन :
                माथुर की रचनाएँ व पत्र भू भारती , साप्ताहिक हिन्दुस्तान, प्रलयदीप, हिन्दू सन्देश, कंट्रोलर, अभ्यदीप , अभ्यदूत , वालंटियर, कायस्थ जगत, कायस्थों की दुनिया, मुक्ता , बाल प्रहरी , ज्ञान विज्ञान बुलेटिन, गोंडवाना भारती, कायस्थ पत्रिका, चित्रांश चर्चा, वेदांग ज्योति, बच्चों का देश , मानव , इतवारी पत्रिका, राजस्थान पत्रिका, नवज्योति, राष्ट्रदूत  मारवाड़ का पूत पा , कलम संदेश, आहियुप पा , सरस्वती प्रेम पा , तुमुल तुफानी, संग्राम बटोही , मन्त्री एक्सप्रेस, कलम कला , रेलदूत, ढोलामारू, दैनिक जनगण , जलतेदीप , प्रतिनिधि, तरूण राजस्थान, राजस्थान केसरी , लोकमत, रोजमेल, पंजाब केसरी , नवभारत टाइम्स सूर्यमुखी साप्ताहिक  राजकुल संदेश पाक्षिक, आर्थिकघोष , महाराष्ट्र हिन्दी अध्यापक मित्र त्रैमासिक पत्रिका आदि आदि  अनेकों ढेर सारी पत्र पत्रिकाओ में माथुर के लेख व पत्र प्रकाशित होते रहते है । माथुर की रचनाएं ई पत्रिकाओ में भी समय-समय पर प्रकाशित होती रहती है ।
            माथुर ने 14 अक्तूबर से 20 अक्तूबर 2019 तक पालरोड ( जोधपुर ) स्थित श्री कन्हैया गौ शाला में सूरसागर बडा रामध्दारा के संत रामप्रसाद जी महाराज के सानिध्य में उन्हीं के शिष्य संत अमृतराज शास्त्री द्धारा प्रस्तुत श्रीमद् भागवत कथा की कवरेज कथा स्थल के मीडिया प्रभारी के रूप में की ।
                  माथुर को लेखन के अलावा तरह तरह के स्लोगन लिखे मेघदूत पोस्टकार्ड, तरह तरह के सिक्के व डाक टिकट एकत्रित करने ,टी वी देखना , पत्र पत्रिकाएं पढने, दीन दुखियों की सेवा करने व राजस्थानी भाषा के गीत सुनने का भी शौक है ।
               पत्रकारिता के दौरान ही माथुर ने राजस्थान लोक सेवा आयोग अजमेर द्धारा वर्ष 1986 में आयोजित कनिष्ठ लिपिक संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा दी जिसमें सरकारी सेवा में नियुक्ति के दौरान भारी धांधली हुई  । मगर माथुर ने हिम्मत नहीं हारी और न्याय हेतु  पहले राजस्थान हाईकोर्ट व बाद में सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया । तब सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर 1993 में  सफल अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला दिया  मगर राजस्थान सरकार ने कोर्ट के फैसले के सात साल बाद  सरकारी सेवा में सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी ।
               माथुर ने 4 अप्रैल 2000 को नागौर कलेक्टर कार्यालय मे अपनी उपस्थिति देकर सरकारी सेवा की शुरुआत की और  फिर यहां से उपखणड अधिकारी कार्यालय मेडता सिटी , तहसीलदार कार्यालय नागौर, तहसीलदार कार्यालय मेडता सिटी मे कनिष्ठ लिपिक के पद पर सफलता पूर्वक अपनी सेवाएं दी और कनिष्ठ लिपिक ग्रेड प्रथम पर पदौन्नति होने पर माथुर को पुनः उपखणड अधिकारी कार्यालय मेडता के चुनाव शाखा में लगाया गया ।
                माथुर ने करीबन 17 वर्ष तक सरकारी सेवा की और उनका कार्य  सदैव उत्तम होने के कारण माथुर को तीन बार उत्कृष्ट व उल्लेखनीय कार्य के लिए गणतंत्र दिवस व स्वाधीनता दिवस पर उपखणड स्तर पर आयोजित सार्वजनिक समारोह में उप जिला कलक्टर  मेडता सिटी द्धारा प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया  वालंटियर मासिक पत्रिका कानपुर ध्दारा बाल साहित्य लेखन के लिए माथुर को सम्मानित किया गया ।
            रचनात्मक साहित्य लेखन के लिए रेड एणड व्हाइट बहादुरी पुरस्कार से भी माथुर पुरस्कृत हो चुके है । इसके अलावा माथुर समय समय पर उल्लेखनीय कार्य के लिए सम्मानित हो चुके है । आकाशवाणी जोधपुर से भी माथुर की वार्ता प्रस्तुत हो चुकी है । माथुर की रचनाएँ कायस्थ जगत पाक्षिक, दैनिक जनगण जोधपुर व वालंटियर मासिक पत्रिका कानपुर में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती है ।
माथुर ने 11 दिसम्बर 2000 को गणेश चन्द्र माथुर की पुत्री मधु माथुर के साथ विवाह किया  । माथुर ने  बिना दहेज विवाह कर समाज के सामने आदर्श उदाहरण पेश किया । माथुर बडे ही मिलनसार, सादा जीवन और उच्च विचार के धनी है । सत्यवादी, स्पष्टतावादी , संघर्षशील, जुझारू, धर्म के प्रति अगाढ आस्था, सिध्दान्तवादी , अपने को सौपे गये कार्य को सदैव पूजा माना और उन्हें प्राथमिकता के साथ पूरा किया  । जीवन मे अपने कार्यों मे कभी भी किसी की दखलंदाजी सहन नहीं की और कभी किसी के समक्ष झुके नहीं । चाहे सरकारी सेवा रही चाहे प्राइवेट  ।
      माथुर एक सुशील, सुसंस्कृत, मर्यादाशील , संयमी आलौकिक लेखक है । आपके ओजस्वी, कुशल, प्रखर वक्तव्य का जनमानस पर बडा प्रभाव है ।

सुनील कुमार माथुर
33 वर्धमान नगर शोभावतो की ढाणी खेमे का कुआ,
पालरोड जोधपुर   (राजस्थान )
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