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Sunday, 17 November 2019

गाँव का घर (कविता) - लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

गाँव का घर
(कविता)
अब गाँव में घर को त्यौहार आने पर
मालिक के बेटों का,
शहर से गाँव आने का रहता है,
बेसब्री से इंतजार,
पाना चाहते हैं सत्कार मालिक जैसे करते थे प्यार,
बेटे भी करें उनका वैसा ही दुलार,
सुख दुःख का करना चाहते हैं इज़हार,
मालिक ने कितने मन से जमा पूंजी,
खर्चकर घर को बनाया था,
मंदिर जैसा उसे सजाया था,
मालिक व आने वाली पीढ़ी,
आराम से घर में रहेगी,
आराम से जिंदगी की गाड़ी चलेगी,
मालिक ने मेहनत की सारी कमाई,
एक एक ईंट रखने में लगाया था,
तन मन को इसे सजाने में लगाया था,
मालिक के अवसान पर घर कितना रोया था,
पर बेटों को देख घर ने हौसला न खोया था,
शहर में नौकरी मिलते ही,
मालिक के बेटों ने बड़े शहर में,
बना लिए आलीशान मकान,
त्यौहार वही पर मनाते हैं
वही अपने सपनों को सजाते हैं,
त्यौहार आने पर गाँव के घर
के अरमान रह जाते हैं अधूरे,
अब शायद न होंगे पूरे,
चाहते हैं उन्हें भी रंगरोगन किया जाए,
लाइटों से उन्हें भी सजाया जाए,
चेहरे पर उनके मुस्कान खिल जाए,
पर यह हसरत मन में ही रह जाएगी,
घर पर काई व झाड़ उगते जा रहे हैं,
घर खंडहर में बदलते जा रहे हैं।।
-०-
लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
स्थायी पताबस्ती (उत्तर प्रदेश)



-०-
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दीप से दीप जलाओ (आलेख) - सुनील कुमार माथुर


दीप से दीप जलाओ
(आलेख)
दीपावली दीपो का त्यौहार है । रोशनी का त्यौहार है । दीपावली पर हर कोई मां लक्ष्मी से यही प्रार्थना करता है कि हे मां ! सर्वत्र सुख , शांति व समृद्धि बनी रहे । कहा जाता है कि जहां रोशनी रहती है वहां देवी देवता प्रसन्न रहते है । कहते हैं कि दीपक बिना ना पूजा होती है और ना ही पूजा पूरी होती है ।
दीपावली पर धनतेरस से लेकर दीपावली तक दीपक अवश्य लगाये जाते है । जहां दीपक जलता है वहां प्रसन्नता रहती है । दरिद्रता व बीमारियां दूर होती हैं । दीये जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती हैं । सुख, शांति व समृद्धि बनी रहती है । पितरो का आशीर्वाद प्राप्त होता है । घर में बरकत बनी रहती है मां लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है ।
धन की वर्षा होती है । इस त्यौहार पर महिलाएं घर आंगन में बैठकर रंगोली सजाती है । चूंकि यह उत्साह व उमंग का त्यौहार है । वैसे भी भारत वर्ष पर्वों व त्यौहारों का देश है । कुछ नया कर गुजरने का मन करता है । आज हम रोशनी के इस त्यौहार पर सब कुछ भूलते जा रहे है । दीपावली के बारे में पत्र पत्रिकाओ में ऊट पंटाग लेख छपते रहते है विज्ञापनों की भरमार रहती है जिन्हें दीपावली विशेषांक न कहकर अगर विज्ञापन विशेषांक कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा ।
दीपावली पर आज दीपको का स्थान रंग बिरंगी लाईटो ने ले लिया है । आज त्यौहार त्यौहार न रहकर मात्र एक औपचारिकता रह गया है । दीपावली भगवान रामचन्द्र जी के 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है । यह अंधकार पर प्रकाश की विजय का दिन हैं । यह प्रेम, स्नेह व भाईचारा बढाता है । दीपावली सबके जीवन में सुख, शांति व समृद्धि लाये । कडवाहट, कटुता व आपसी मन मुटाव दूर कर नये जीवन की शुरूआत करें व प्रेम का दीपक जलाये ।
मिठाई की मिठास की तरह सबके मन में मिठास आये और एक दूसरे के साथ स्नेह बढाये । ज्योत से ज्योत जलाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो आपके मन में प्रेम इतना गहरा हो कि लोग आश्चर्य करे कि अमावस्या की अंधेरी रात में चांद कहा से निकल आया । अर्थात् लोग यकायक मन मुटाव भूलकर एक दूसरे के हितैषी कैसे बन गये । जीवन मंगलमय बना रहें । भगवान सभी को तन , मन , धन से खुश रखे ।
दीपावली के इस पावन अवसर पर सभी के घरों में आदर्श संस्कारों की वर्षा हो । चारों ओर शांति, सुख समृद्धि व खुशहाली हो । भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र हो । विकास , उन्नति , प्रगति , उत्थान का चक्र सर्वत्र चलता रहे । लक्ष्मी की हम पर सदैव कृपा बनी रहे । संयुक्त परिवारों का पुर्नगठन हो । दरिद्रता का नाश हो
दियों की जगमगाहट हो सर्वत्र अंधकार , अज्ञानता का नाश हो और प्रकाश और शिक्षा की लौ को आगे बढाये ।
दीपावली दीपो का त्यौहार है । अतः दीपक के तेल की एक एक बूंद का आनंद ले और दीपक की लौ से प्ररेणा ले । सर्वत्र विधा रूपी प्रकाश फैलाये । दीपावली के बाद भाईदूज मनाई जाती हैं । इस दिन बहने भाई के टीका लगाकर हाथ में पकवान देती है और भगवान चित्रगुप्त जी का पूजन कलम व दवात के साथ करते हैं । कायस्थ समाज भाईदूज पर भगवान चित्रगुप्त जी की शोभायात्रा निकालते है और शोभायात्रा की समाप्ति पर प्रसादी करता है ।
दीपावली के इस पावन अवसर पर आपका हर सपना पूरा हो , शोहरत की बुलंदियों पर आपका नाम हो । यही मैं मां लक्ष्मी , सरस्वती व गणेश जी से प्रार्थना करता हूं कि सभी देशवासियों के जीवन में खुशहाली लाये और उनकी मनोकामना पूर्ण करे । शुभ दीपावली । मंगलमय हो दीपावली ।
-०-
सुनील कुमार माथुर ©®
जोधपुर (राजस्थान)







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रिश्तों के मायने (विधा : कविता) - अश्विनी राय 'अरुण'


रिश्तों के मायने
(विधा : कविता)

रिश्तों के मायने बदल रहे हैं,
आग पर बैठे जैसे उबल रहे हैं,
मंदिर के पत्थर को सीढ़ी बना,
अपनो को कुचल रहे हैं,
रिश्तों के मायने बदल रहे हैं.

बिन बोले कभी हाथ बढ़ाता,
आज चेतना शून्य है हर कोई,
रिश्ते शायद शून्य में बदल रहे हैं,
रिश्तों के मायने बदल रहे हैं.
जिसके खातिर माथा टेका,
रखा जिसके खातिर उपवास,
उसने बनाया किसी और को खास,
हर कोई रिश्तों को छल रहे हैं,
रिश्तों के मायने बदल रहे हैं.

आगे जाने की अंधी दौड़ लगी है,
सपनो को पाने की होड़ लगी है,
माँ बाप का बस सरनाम लगता है,
खून का रिश्ता बेकाम लगता है,
पास पड़ोसी बेगाने लग रहे हैं,
रिश्तों के मायने सच में बदल रहे है.
-०-
अश्विनी राय 'अरुण' ©®
निवास- बक्सर, बिहार





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सभी के वास्ते (ग़ज़ल) - संजय कुमार गिरि


सभी के वास्ते
(ग़ज़ल)
कभी वादों से जो फिरता नहीं है ।
बशर सच्चा है वो, झूठा नहीं है ।।

मैं जिसका हो गया हूँ दिल से यारो।
न जाने वो मेरा है या नहीं है।।

सितम ढाने में तो अपने हैं सारे।
करम को पर कोई अपना नहीं है ।।

ख़ुशी के हैं बहुत हमराह मेरे।
मुसीबत में कोई मिलता नहीं है।।

ज़रूरत में तो है पूछा सभी ने।
मगर आगे कोई आया नहीं है ।।

परिन्दे उड़ गए सारे अचानक।
शज़र पर गो कोई खतरा नहीं है ।।

सभी के वास्ते जीता है' संजय ।
किसी से दुश्मनी करता नहीं है ।।
-०-
संजय कुमार गिरि 
दिल्ली

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टूट गया उम्मीदों का दामन (कविता) - संजय कुमार सुमन


टूट गया उम्मीदों का दामन
(कविता)

एक दीवार से लगकर
बहुत रोया था।
जब हमेशा के लिए मैंने
उसे खो दिया था।
बारिशें गम में ही
आंखों से रवां हैं।
वक्त रुखसत हो गई
जिसे गले लग कर
रोया था बहुत ही।
अब क्या करें
दूसरों पर भरोसा।
जब अपना ही नाता तोड़ चले
बड़ी उम्मीदों व आशा से
घुटने टेके मंदिरों में।
कहीं दुआ हो जाए कबूल
पर ईश्वर को
शायद कुछ और ही मंजूर था ।
टूट गया
उम्मीदों का दामन।
जिसे अपने प्यार से भरा था।
वक्त ने दिए ऐसे जख्म
धो रहा हूं अपने आंसुओं से।
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संजय कुमार सुमन
मंजू सदन,चौसा मधेपुरा 852213(बिहार)
मोबाईल नंबरः-9471988029,9934706179
मेल-sk.suman379@gmail.com

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