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Thursday, 21 January 2021

महत्त्वाकांक्षा (कविता) - आदित्य अभिनव

 

महत्त्वाकांक्षा 
(कविता)
     मैं तीन पग से 
      पूरी दुनिया,
      मापना चाहता हूँ
      वामन की तरह।
      मैं चाहता हूं कि 
      मेरा पग 
      इतना बड़ा हो जाए कि 
     उसमें 
     सारी दुनिया समा जाए ;
     लेकिन 
     नहीं मिलता मुझे 
     राजा बलि का सिर ,
     जिस पर रख सकूँ 
     अपना पाँव ।
-०-
पता: 
आदित्य अभिनव उर्फ डॉ.  चुम्मन प्रसाद श्रीवास्तव 
कौशाम्बी (उत्तर प्रदेश)

-०-

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