भोजन बनाएंगे
(कविता)
हर जगह से खोजते हैं
भोजन के लिए चीजें हम
बढ़ने के बजाय
आयात और खपत
स्वाद और सुविधा लाता है ।
दिन प्रति दिन में
प्रगति के साथ ही दुनिया के
नये आविष्कार होते ही
जब पैसा दुनिया का
राजा बन जाते ही
अपने खाने पीने क्या है
याद भी ना हो जाते ही ।।
इसलिए महसूस हो रही थी
उबलने सुखाने गति धीमी
आशाओं के बढ़ जाने से
इच्छायें बाजार में ज़मा गए ।।
खाने पीने कहाँ से आते हैं
ना जाने, पर खा पी सकते हैं
क्या होगा इस्तेमाल से
कोई बात नहीं इस से ।।
जब उनका उपयोग करें
अगर बहुत स्वादिष्ट है तो
जहर मिलाये मीठा करने
स्मृति नहीं लालची मन में ।।
अपने आँगन में उगने में
अनमोल विचार उठने से
साहस दे रहे ख्वाबों पर
फूलों और फलों से बन
हँसेंगे हम सब पृथ्वी पर ।।।
हर जगह से खोजते हैं
भोजन के लिए चीजें हम
बढ़ने के बजाय
आयात और खपत
स्वाद और सुविधा लाता है ।
दिन प्रति दिन में
प्रगति के साथ ही दुनिया के
नये आविष्कार होते ही
जब पैसा दुनिया का
राजा बन जाते ही
अपने खाने पीने क्या है
याद भी ना हो जाते ही ।।
इसलिए महसूस हो रही थी
उबलने सुखाने गति धीमी
आशाओं के बढ़ जाने से
इच्छायें बाजार में ज़मा गए ।।
खाने पीने कहाँ से आते हैं
ना जाने, पर खा पी सकते हैं
क्या होगा इस्तेमाल से
कोई बात नहीं इस से ।।
जब उनका उपयोग करें
अगर बहुत स्वादिष्ट है तो
जहर मिलाये मीठा करने
स्मृति नहीं लालची मन में ।।
अपने आँगन में उगने में
अनमोल विचार उठने से
साहस दे रहे ख्वाबों पर
फूलों और फलों से बन
हँसेंगे हम सब पृथ्वी पर ।।।