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Wednesday, 22 July 2020

कवि की कविता (कविता) - प्रशान्त कुमार 'पी.के.'

कवि की कविता

(कविता) 
कविता कवि की साधना है,
वीणापाणी की वन्दना है।।
कविता ही कवि की आशा है,
कविता कवि की परिभाषा है।
कविता है कवि की बोलचाल,
कविता है निज कवि की ढाल।
कविता है कवि के मन की पीड़ा,
कविता सच बोलने का है बीड़ा।
कविता वेदना कवि के मन की,
संवेदना है कवि के निज मन की।
कविता माध्यम है भावों का,
पल पल हर पल संभावों की।।
कविता प्रेरणा कल्पना है,
निर्माण की हर परिकल्पना है।।
कविता विश्वास है कवियों का,
कविता आभास है कवियों का।।
कविता है परिश्रम कवियों का,
कविता परिणाम है कवियों का।।
कविता में कवियों का भाव सार।
कवि के इसमें हैं सद्विचार।।
कविता है जन्मी सर्वप्रथम,
कविता सच कह दे ले न दम।
कविता को सहारा कवि ने दिया,
कविता ने कवि को है दिया।।
कविता ही कवि की पूजा है,
साथी न शिवा कोई दूजा है।
कविता कवि के हैं अश्रुपात,
कविता कवि का है ह्रदयाघात।।
कविता अपनों की बिछड़न है,
कविता कवि ह्रदय की तड़पन है।
कविता है कहानी बचपन की,
कविता है निशानी बचपन की।।
कविता हर जीत का जश्न भी है,
कविता निज जीत का यत्न भी है।
कविता ही कवि का तन मन है,
कविता ही कवि का जीवन है।।
कविता संदेश सुनाती है,
कविता परिवेश सुनाती है।।
कविता तुलसी, मीरा का प्यार।
रांझे और हीर के बाहों का हार।।
कविता है जवानी वीरों की,
है शौर्य कहानी वीरों की।।
कविता बसंत की है बयार,
कविता वर्षा के जल की धार।।
कविता इतिहास है कल युग का,
कविता प्रयास है कल युग का।।
कविता है माता की लोरी,
पालना है रेशम की डोरी।।
कविता है पिता का स्वप्न सोच,
कविता है पिता के मन का बोझ।
कविता है बहन का रक्षा सूत्र,
कविता भाई का सफलता सूत्र।
कविता में हर खुशी और गम है,
कविता भावों का संगम है।।
-०-
पता -
प्रशान्त कुमार 'पी.के.'
हरदोई (उत्तर प्रदेश)
-०-

***
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लाल बत्ती का सिग्नल (गीत) - अख्तर अली शाह 'अनन्त'

लाल बत्ती का सिग्नल
(गीत )
लाल बत्ती का सिग्नल लोगों,
थम जाओ आदेश थमाता।
नहीं थमा जो दण्डित होता,
अपराधी लोगों कहलाता ।।

जहां चौक चौराहा होता ,
आवागमन बहुत होता है ।
लोग हरेक सिम्त से आते,
हर कोई आपा खोता है ।।
टकरा करके हो ना घायल,
इसीलिए तरतीब बना दी ।
हरी लाल बत्ती चौराहे ,
चौराहों पर यूँ लगवादी ।।
वक्त दे दिया थोड़ा थोड़ा,
जिसमें ही वो बढ़ाने पाता ।
नहीं थमा जो दण्डित होता
अपराधी लोगों कहलाता ।।

लाल हरी बत्ती का हमने ,
लोगों चलन पुराना देखा ।
सिग्नल पाकर ही रेलों का,
हमने आना जाना देखा ।।
जहां लाल बत्ती दिखलादी,
क्या मजाल गाड़ी बढ़ पाए ।
हो चाहे आंधी तूफां भी,
बिना देर के गति थम जाए।
अनुशासन में रहे ड्राइवर ,
उसे यही सिखलाया जाता ।।
नहीं थमा जो दण्डित होता,
अपराधी लोगों कहलाता ।।

शहरों में भी देखा है ये ,
रेड लाइट एरिया होता ।
सोदे जहां बदन के होते ,
जीवन अपना मकसद खोता।।
जहां सिसकती है मानवता,
अश्क जहां खूं के बहते हैं ।
दानव नोंचे जिन्दा लाशें,
जख्म जहाँ रिसते रहते हैं।।
ना जाएं उस ओर कदम ये,
केवल जहां पतन मुस्काता ।
नहीं थमा जो दंडित होता ,
अपराधी लोगों कहलाता ।।
-0-
अख्तर अली शाह 'अनन्त'
नीमच (मध्यप्रदेश)
-०-

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सफर जारी रखना ही होगा (कविता) - दीपक सपकाल

सफर जारी रखना ही होगा
(गीत)
काँटे कितने भी हो रास्तें में
सफर तो जारी रखना ही होगा,
चाहे सहने पडे कष्ट कितने भी
मंजिल को तो पाना ही होगा।।
कमान में तीर हो,आँख निशाने पर
विचलित न हो जाए मन कभी
ना डगमगाना होगा,
काँटे कितने भी हो रास्ते में
सफर तो जारी रखना ही होगा।।
समंदर में तो कश्तियाँ भी गोते लगाती है
तुफान में बस्तियाँ भी बिखर जाती है,
हो हौंसला मन में अगर
तो हर किनारा भी मिल जाता है,
तूफानों औ आँधियों को मिटाना होगा,
बुलंदियों को छूने हौसला बुलंद रखना होगा,
काँटे कितने भी हो रास्तों में
सफर तो जारी रखना ही होगा।।
चीर देती है नदी की धारा
उँची उँची पहाडियों को,
रास्ता बनाती है नीर देने वादियों को,
हो जाए गर हरा भरा सारा जहाँ,
फूल कली खिलेगी जहाँ वहाँ
किंतु रुक जाना संभव नहीं होगा
चाहे काँटे कितने भी हो रास्ते में
सफर तो जारी रखना ही होगा।।
***********🙏***********
पता: 
दीपक सपकाल 
यवतमाळ (महाराष्ट्र)

-०-

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हरियाली तीज (गीत) - अतुल पाठक 'धैर्य'


हरियाली तीज 
(गीत)
हल्की बूँदों की फुहार है
ये सावन की बहार है

सखियाँ संग झूलन को आईं
आज हरियाली तीज त्यौहार है

झूम उठे दिल झूम बराबर
गीतों के तराने और सावन के मल्हार हैं

यह पावन पर्व है हरियाली तीज का
इस दिन झूलों की लगती खूब कतार है

आया तीज का त्यौहार
सखियाँ भी तैयार हैं

मेहंदी हाथों में रचाई
करे सोलह श्रृंगार हैं

हरी चूड़ी खन-खन है करती
पायल भी छम-छम है बजती

बिंदी की चमक अपार है
आज हरियाली तीज त्यौहार है

मंदिर में दर्शन को जातीं
शिव पार्वती से गुहार लगातीं

होगा अमर सुहाग
आज हरियाली तीज त्यौहार है
पता: 
अतुल पाठक  'धैर्य'
जनपद हाथरस (उत्तरप्रदेश)

-०-

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