लाल बत्ती का सिग्नल
(गीत )
लाल बत्ती का सिग्नल लोगों,थम जाओ आदेश थमाता।
नहीं थमा जो दण्डित होता,
अपराधी लोगों कहलाता ।।
जहां चौक चौराहा होता ,
आवागमन बहुत होता है ।
लोग हरेक सिम्त से आते,
हर कोई आपा खोता है ।।
टकरा करके हो ना घायल,
इसीलिए तरतीब बना दी ।
हरी लाल बत्ती चौराहे ,
चौराहों पर यूँ लगवादी ।।
वक्त दे दिया थोड़ा थोड़ा,
जिसमें ही वो बढ़ाने पाता ।
नहीं थमा जो दण्डित होता
अपराधी लोगों कहलाता ।।
लाल हरी बत्ती का हमने ,
लोगों चलन पुराना देखा ।
सिग्नल पाकर ही रेलों का,
हमने आना जाना देखा ।।
जहां लाल बत्ती दिखलादी,
क्या मजाल गाड़ी बढ़ पाए ।
हो चाहे आंधी तूफां भी,
बिना देर के गति थम जाए।
अनुशासन में रहे ड्राइवर ,
उसे यही सिखलाया जाता ।।
नहीं थमा जो दण्डित होता,
अपराधी लोगों कहलाता ।।
शहरों में भी देखा है ये ,
रेड लाइट एरिया होता ।
सोदे जहां बदन के होते ,
जीवन अपना मकसद खोता।।
जहां सिसकती है मानवता,
अश्क जहां खूं के बहते हैं ।
दानव नोंचे जिन्दा लाशें,
जख्म जहाँ रिसते रहते हैं।।
ना जाएं उस ओर कदम ये,
केवल जहां पतन मुस्काता ।
नहीं थमा जो दंडित होता ,
अपराधी लोगों कहलाता ।।
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अख्तर अली शाह 'अनन्त'
-०-
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