शाल पलाशी ओढ़कर , गद -गद हुआ पलाश ।
अभिनंदन कर ठूंठ का , धन्य हुआ मधुमास ।
झांके घूंघट ओट से , हौले से कचनार ।
भंवरे करते प्यार से , चुंबन की बौछार ।
चुनर ओढ़कर जयपुरी , नाचे सरसों आज ।
देख अदाएं मदभरी , मौसम करता नाज़ ।
दस्तक देतीं तितलियां , फूलों के अब द्वार ।
करें फूल से तितलियां , बाहों में भर प्यार ।
मधुमास ने फूलों के , चूम - चूमकर गात ।
फिर उन्हें दी प्यार से , खुशबू की सौगात ।
सरसों , चंपक , ढाक के , संग फूला कचनार ।
सेमल , अलसी , केशिया , केथ करें श्रृंगार ।
बैठ आम की शाख पर , कोयल कुहके रोज़ ।
रानी बनकर बाग की , करें बाग में मौज ।
अभिनंदन कर ठूंठ का , धन्य हुआ मधुमास ।
झांके घूंघट ओट से , हौले से कचनार ।
भंवरे करते प्यार से , चुंबन की बौछार ।
चुनर ओढ़कर जयपुरी , नाचे सरसों आज ।
देख अदाएं मदभरी , मौसम करता नाज़ ।
दस्तक देतीं तितलियां , फूलों के अब द्वार ।
करें फूल से तितलियां , बाहों में भर प्यार ।
मधुमास ने फूलों के , चूम - चूमकर गात ।
फिर उन्हें दी प्यार से , खुशबू की सौगात ।
सरसों , चंपक , ढाक के , संग फूला कचनार ।
सेमल , अलसी , केशिया , केथ करें श्रृंगार ।
बैठ आम की शाख पर , कोयल कुहके रोज़ ।
रानी बनकर बाग की , करें बाग में मौज ।
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वाव! क्या कविता है, बहुत बहुत बधाई है आदरणीय !
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