(ग़ज़ल)
ये इंतखाब के मौसम हैं क्या किए जायें
किन्हीं को कब्र किन्हीं को जला दिए जायें
कहा ये किसने वतन लूट कर गए हैं जो
वो मर गए हैं तो झंडे झुका दिए जायें
वो मर गए हैं तो झंडे झुका दिए जायें
नहीं है उनको ज़रूरत हमारे खेतों की
अमीर लोगों को हीरे चटा दिए जायें
बस इससे पहले मेरे दिल का ज़लज़ला उठे
ये जितने शीशमहल हैं गिरा दिए जायें
गुनहगारों को देगी सज़ा अदालत क्या
बस मेरे पांव के घुँघरू हटा दिए जायें
किसी की आबरू लेने की बस सज़ा ये हो
लिटा के शीशे पे रोलर चला दिए जायें
ग़ज़ल न सिर्फ क़सीदे गढ़ा करेगी अब
जो शाहे वक़्त हैं उनको बता दिए जायें-0-
अमीर लोगों को हीरे चटा दिए जायें
बस इससे पहले मेरे दिल का ज़लज़ला उठे
ये जितने शीशमहल हैं गिरा दिए जायें
गुनहगारों को देगी सज़ा अदालत क्या
बस मेरे पांव के घुँघरू हटा दिए जायें
किसी की आबरू लेने की बस सज़ा ये हो
लिटा के शीशे पे रोलर चला दिए जायें
ग़ज़ल न सिर्फ क़सीदे गढ़ा करेगी अब
जो शाहे वक़्त हैं उनको बता दिए जायें-0-
डा जियाउर रहमान जाफरी
नालंदा (बिहार)
-०-
नालंदा (बिहार)
-०-
अच्छी ग़ज़ल ,दिली दाद
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