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Thursday 9 January 2020

●साहित्यकार राजकुमार जैन राजन जी सम्मानित●

काव्य संग्रह
"खोजना होगा अमृत कलश" के लिए
राजकुमार जैन 'राजन' सम्मानित

बारां : राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के सौजन्य से युवा मंडल संस्थान, बारां की ओर से 4 - 5 जनवरी को आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय साहित्यकार समारोह में उत्कृष्ठ साहित्यिक कृतियों के रचनाकारों को सम्मानित किया गया ।इस अवसर पर आकोला ( राजस्थान ) के ख्यातनाम साहित्यकार राजकुमार जैन राजन को उनके कविता संग्रह " खोजना होगा अमृत कलश" के लिए मंचस्थ अतिथियों द्वारा "श्रीमती कमलादेवी स्मृति सम्मान" से विभूषित किया गया । सम्मान स्वरूप प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह एवम नगद राशि प्रदान की गई। समारोह की अध्यक्षता प्रसिद्ध साहित्यकार, चिंतक वृंदावन से पधारे डॉ. उमेश चंद्र शर्मा ने की। प्रसिद्ध शिक्षाविद व साहित्यकार श्री नरेन्द्रनाथ चतुर्वेदी RAS एवम वरिष्ठ साहित्यकार श्री जितेंद्र निर्मोही, जिला प्रेस क्लब अध्यक्ष श्री दिलीप शाह आदि विशिष्ट अतिथियों के रूप के उपस्थित थे। संयोजन जितेंद्र शर्मा पम्मी ने किया।
"खोजना होगा अमृत कलश" पंजाबी, गुजराती, असमिया, मराठी सहित नेपाल से नेपाली, श्रीलंका से "सिंहली" एवम चीन से "चीनी" भाषा मे भी अनुदित होकर प्रकाशित हो चुकी है। इस कविता संग्रह ने राजकुमार जैन राजन को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलवाई है। इस कृति पर राजन को यह पांचवा सम्मान मिला है।ज्ञातव्य है कि राजकुमार जैन राजन की बाल साहित्य की 36 पुस्तकों सहित तक 40 पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी है और कई पुस्तकों का विभिन्न भाषाओं में देश - विदेश में अनुदित संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। आप कई पत्रिकाओं के संपादन से जुड़े हुए हैं और नए हिंदी लेखकों को पूरा प्रोत्साहन दे रहे हैं। उत्कृष्ट लेखन करने वाले रचनाकारों को प्रतिवर्ष आप द्वारा भव्य आयोजन कर सम्मानित किया जाता है। बालकों में पठन - पाठन की रुचि जागृत करने के लिए निःशुल्क बाल साहित्य वितरण राजकुमार जी द्वारा किया जा रहा है जिसके तहत अब तक आठ लाख रुपये मूल्य का हिन्दी बाल साहित्य वितरित किया जा चुका है।
इस आयोजन में कुंजबिहारी नागर, डॉ. कृपाशंकर शर्मा 'अचूक', जितेंद्र निर्मोही, रामनारायण हलधर, डॉ.सुरेंद्र यादवेंद्र, बाबू बंजारा, गौरिकान्त शर्मा, विनय जोशी, डॉ चेतना उपाध्याय, डॉ क्षमा चतुर्वेदी, विश्वामित्र दाधीच, जितेंद्र शर्मा पम्मी जैसी ख्यातनाम शख़्शियतें उपस्थित थी। अंतिम सत्र के अध्यक्ष मण्डल में राजकुमार को मंचस्थ अतिथि के रूप में भी सम्मानित किया गया।
राजन को "श्रीमती कमलादेवी स्मृति सम्मान" से सम्मानित किए जाने पर साहित्यकारों, जनप्रतिनिधियों व मित्रों ने बधाई देते हुए हर्ष व्यक्त किया है।
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‘मुझे प्यार की ज़िन्दगी’ (ग़ज़ल) - टेकनारायण रिमाल 'कौशिक'

‘मुझे प्यार की ज़िन्दगी’
(ग़ज़ल)
‘मुझे प्यार की ज़िन्दगी’चाहिए जी!
लिए प्यार का तोहफ़ा आइए जी!

कि मैं आप के राज़ को जानता हूँ
मिलेंगे जभी भाव ना खाइए जी!

कभी हुस्न तो ये उड़ेगी हवा में
वफ़ा से मिलाने वफ़ा लाइए जी!

मुझे आप अच्छी लगीं क्या करूँ मैं?
लबों को जरा खोल मुस्काइए जी!

अरे वाह! ऐसी गरूरी कहाँ की
नहीं बोलनी है चले जाइए जी!
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पता:
टेकनारायण रिमाल 'कौशिक'
यांगून(बर्मा)
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कौन हो तुम (कविता) - समर नाथ मिश्र

कौन हो तुम
(कविता)
शिलालेख सी अबुझ पहेली
सन्मुख , किन्तु मौन हो तुम
व्याधि सी मन की आतुरता
सच बतलाना , कौन हो तुम

तुम प्रभव , प्रात की अंगड़ाई
या सरस सांझ का यौवन हो
दिवस की चढ़ती धूप धवल
या निविड़ निशा मनभावन हो

स्वप्नों के विलगित प्राङ्गण की
तुम कोरी कल्पना कौमारी
या असित सत्य के अर्णव की
आरुण्य आविका अवतारी

नीरव नयनों की नवल न्यास
ढलती पलकों पर जगती सी
या तिमिरकोष की रश्मिसुधा
विधु वल्लभ व्रत ठगती सी

मन मुकुर में मेरे मुर्त मुखर
लेकिन यथार्थ में गौण हो तुम
‍पूछ रही हृद की उत्कण्ठा
सच बतलाना , कौन हो तुम
पता - 
समर नाथ मिश्र
बीरगांव , रायपुर (छत्तीसगढ़)

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शुभकामना (कविता) - श्रीमती दीपा परिहार

शुभकामना
(कविता)
हमसे जब भी हुआ है अच्छा काम
तब हमें मिली शुभकामना 
हर बार लगता रहता पूरा वातायन प्यारा
मन की अनुभूति को लगता न्‍यारा
सबकी मिली आशीष अपने कर्म को
सुख के पल में भूल जाती अपने मर्म को
अपनत्‍व सा दिखता शुभकामना के भावों में
मरहम लग जाता है गहरे पड़े घावों में
तन मन सिहर उठता सुनने को ऐसे शब्द
तब कुछ करने को नया भाव जग जाता
उतावलापन छाने लगता तन पर
सब कुछ सह कर करने को 
लालायित रहती व्यक्ति की उम्मीद
वो करता है और भी अनगिनत नव सृजन
जिसमें शुभकामना साथ देती उसका
वर्चस्व बढाने में
कुछ करने में
शुभकामना से अंतस तेज प्रबल होता
और नया करने की उत्कंठा पैदा होती
एक आशा का संचार
कर देती शुभकामना आप मै और सभी
इसके चिर से परिचित है
इसलिए तो साथ चलती है शुभकामना
कर्मी के हर अच्छे कर्म तक।-०-
पता
श्रीमती दीपा परिहार
जोधपुर (राजस्थान)

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हम बातें करें (ग़ज़ल) - डॉ० भावना कुँअर (ऑस्ट्रेलिया)

हम बातें करें
(ग़ज़ल)
फिर नये मौसम की हम बातें करें
साथ खुशियोंग़म की हम बातें करें

जगमगाते,थे दिए भी साथ में
फिर भला क्यूँ,तम की हम बातें करें

जो दिया,उसने,खुशी से लें उसे
फिर ना ज़्यादा,कम की हम बातें करें

जो खुशी,में भी छलक जाएँ कभी
ऐसे,चश्म--नम की हम बातें करें

घाव देने का,ना हम,सोचें कभी
घाव पे,मरहम की हम बातें करें

गम के छाए,बादलों के बीच में
खुशनुमा,आलम की हम बातें करें

जो दुःखी हैं,उनकी भी सोचें जरा
बस ना,पेंच--ख़म की हम बातें करें

हो रही हो,बात गंगाजल की गर
साथ में,ज़म-ज़म की हम बातें करें
-०-
डॉ० भावना कुँअर 
सिडनी (ऑस्ट्रेलिया)

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श्राद्ध (लघुकथा) - संतोष श्रीवास्तव

श्राद्ध
(लघुकथा)
अपने पति मंगतराम के श्राद्ध में ग्यारह ब्राह्मणों को उसने बुलाया था। श्राद्ध का सारा इंतजाम हो चुका था और वह पूड़ियाँ तलने बैठी थी । गर्म तेल में पूड़ी डालते हुए उसके आँसू छलक आए ।
'जिंदगी भर खटता रहा ।
तीन जवान बेटियों के ब्याह की चिंता में कभी चैन से सो न सका और मर कर भी बेटियों का इंतजाम कर गया। दुर्घटना में मरे और लापता हुए व्यक्तियों को सरकार पांच पांच लाख रुपया मुआवजा .........
"अम्मा ,बापू !"
उसके पूड़ियाँ तलते हाथ वहीं के वहीं थम गए। दुर्घटना में लापता हुआ पति सामने बैसाखियों के सहारे खड़ा था। उसके मन में हौल सा उठा ।
"अब श्राद्ध किसका करे? पाँच लाख रुपयों का या बेटियों की जवानी का???
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संपर्क
संतोष श्रीवास्तव
भोपाल (मध्य प्रदेश)


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ऐसे सुधरेगा वहशी समाज (आलेख) - राजकुमार अरोड़ा 'गाइड'

ऐसे सुधरेगा वहशी समाज
(आलेख)
          सुबह जैसे ही टी वी खोलते ही लोगों ने हैदराबाद के चारों बलात्कारियों के एन्काउन्टर में मारे जाने का समाचार सुना,तो पूरे देश में खुशी व उल्लास का वातावरण छा गया। ऐसे वीभत्स कांड के इतनी जल्दी पटाक्षेप ने जन मानस में आशा का  संचार कर दिया। 16 दिसम्बर को निर्भया कांड को सात साल पूरे हो जायेगें। इतना शोर, बावेला हाय तौबा के बाद तथाकथित सख्त कानून बना,पर आज भी फांसी नहीँ हो रही है।कानूनी दांवपेंच, औपचारिकताओं के जाल में यह लटका केस कितना समय औऱ ले ले,नहीं पता।ऐसे में लोगों का न्याय व्यवस्था, प्रशासन से विश्वास उठना स्वाभाविक ही है। एकदम अप्रत्याशित त्वरित इस 'न्याय' पर उजागर प्रसन्नता ने कई प्रश्नों को जन्म दे दिया है। दस प्रतिशत एन्काउन्टर ही सत्य प्रतीत होते हैं, पर सवाल सब पर उठते हैं। 
      इस पर भी उठे,सुप्रीम कोर्ट भी इसे देख रही है। सिस्टम से नाउम्मीदी तो अराजकता ही बढ़ायेगी। आम जनता जल्द न्याय चाहती है, कानूनी प्रक्रिया से पर ,समयबद्ध। आरोपियों की दोष स्वीकार्यता के बाद भी सालोंसाल लग जाएं तो विश्वास तो डगमगाएगा ही।यह समाज, प्रशासन, व्यवस्था सबकी विफलता है।
   आज हम लड़की के आने जाने,पहनावे,व्यवहार पर अंकुश रखते हैं, उनकी बाध्यताएं भी हैं, मर्यादा भी। पर लड़कों के लिये यह जरूरी क्यों नहीँ।लड़की आठ बजे रात तक आये तो प्रश्नों के घेरे में,लड़का रात को एक बजे भी शराब पी कर आ रहा है तो कोई बात नहीं। कई मामलों में तो माता पिता को,थाने से फोन आने पर पता चलता है, जब वो ऐसे ही किसी केस में सलिंप्त होता है,तब भी माँ बाप उसकी कारगुजारियों को दरकिनार कर बचाने में लग जाते हैं। कोई ऐसे माँ बाप आज तक नज़र आये जिन्होंने यह कहा हो यदि यह दोषी है तो कानून को अपना काम करने दो हमारा कोई हस्तक्षेप नहीँ होगा। 
       नारी की कोख से जन्मी मानव जाति नारी की ही दुश्मन,उसे नोंच खाने को तैयार। कैसी विडंबना है?
जब निर्भया कांड हुआ तो कांग्रेस सरकार थी, इस भाजपा सरकार ने तब तो बड़ी बड़ी बातें कहीं, कैसी कैसी दुहाइयाँ दी और सत्ता के छठे साल में मामला ज्यों का त्यों हैं। सब अपनी अपनी रोटियां सेंक रहे हैं, जनता रूपी द्रौपदी की किसी को चिंता नहीं, दुर्योधन, दुःशासन हर तरफ भरे पड़े हैं, यहां तक कि यौन शोषण व बलात्कार के आरोपी रहे आज सांसद व विधायक भी हैं।
      हैदराबाद की घटना बस एक अपवाद ही बने यदि सरकार में थोड़ी सी भी गर नैतिकता व शर्म है तो जल्द से जल्द बलात्कार के मामलों का निपटारा एक से तीन माह के भीतर निपटाने का सख्त कानून पास कराए, अब तो पूर्ण बहुमत है,बहाना भी क्या लगाओगे, इच्छा शक्ति का शोर बहुत मचाते हो, कुछ कर के भी दिखाओ। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल इस बार भी सख्त कानून बनाने को ले कर आमरण अनशन पर बैठीं,सात साल पहले भी माँ भारती की इस बेटी ने आमरण अनशन किया था,तब आश्वासनों के खट्टे बेरों के झांसे में आई बेटी को क्या मालूम था, तस्वीर में कोई बदलाव नहीं आएगा, पांच साल महिला व बाल कल्याण मंत्री रही मेनका गांधी ने क्या किया। महिला हो कर भी महिलाओ के दर्द को समझा?अब उल्टे एन्काउन्टर पर प्रश्न उठाते हुए कहा एक निर्भया केस में विलम्ब हो गया तो ऐसे ही मार दोगे। अरे! तुमने तो निर्भया कोष का
पैसा भी सही से इस्तेमाल नहीँ किया।
      यौन शोषण व बलात्कार के आरोपियों का हर हाल में सामाजिक बहिष्कार हो,सख्त से सज़ा जल्द से जल्द हो,माँ बाप भी ऐसी संतान से मुहँ फेर लें,संपत्ति से बेदखल कर दें,तब ही समाज की दशा भी बदलेगी व दिशा भी।
समाज की हालत आज बहुत बुरे,घोर अविश्वास एवं अत्यंत चिंताजनक दौर में पतन के गर्द में है, यदि प्रशासन व न्याय व्यवस्था ऐसे ही पंगु रही, तो इससे भी ज्यादा भंयकर दुष्परिणाम देखने को मिलेंगे।
       अच्छे दिन की अनवरत ढपली बजाने वाले हमारे मोदी जी मात्र उपदेशक, इवेंट मैनेजर लगते हैं और
उनके हनुमान अमित जी भारत के हर कोने में सरकार बनाते व बचाते नज़र आते हैं। मोदी जी मन की बात करते हैं, दूसरों के मन की बात कहां समझते हैं? टोंक, हैदराबाद, उन्नाव जैसी घटनाओं पर अब तक मौन क्यों हैं?अब तक मात्र पांच प्रतिशत फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट अस्तित्व में आईं हैं, अधिकांश सीटें न्यायालय में नियुक्ति की बाट जोह रही हैं। तीन लाख से अधिक केस पेंडिंग हैं। थानों में महिला डेस्क बना कर क्या करोगे,जब समुचित स्टाफ की भर्तियां नहीं होंगी।जब राम मंदिर के केस की सुनवाई रोज हो सकती है तो उन्नाव के पांच दरिंदो के लिये क्यों
नहीं,यह फ़ास्ट ट्रैक भी कुछ दिन में स्लो हो कर खानापूर्ति नज़र आएगा। शासकों में इच्छा शक्ति के अभाव में ऐसे हालात बार बार पैदा होते रहेंगे और हम बेबस, लाचार कैंडल लाइट जलाते रह जाएंगे।
  भारत माता आज कराह रही है, चीत्कार कर रही है, कोई सुनने वाला जैसे है ही नहीं। दो तिहाई बहुमत के
बाद भी इतनी विवशता! समझ नही आता क्यों? पिछली सरकारों को कोसने की बजाय कुछ अलग कर के दिखाओ, आखिर अपने को'पार्टी विद ए डिफरेन्स' कहते  हो !आखिर जनता कब तक इंतजार करेगी?उसके सब्र के प्याले की कब तक परीक्षा लेते रहोगे?आज हर सच्चा  हिंदुस्तानी उद्देलित, आक्रोशित है, खून के आंसू रो रहा है, येआंसू विद्रोह में बदल कर तेजाबी हो जाएं,सम्भल जाओ, जनता के वोट से चुने जाने वालो, जनता की सुध ले लो,यही तख्त पर बिठाती है, यही तख्ता पलटती है।
        नारी की अस्मिता की रक्षा करना तुम्हारा दायित्व है,नारी के अंदर दुर्गा,सीता,सावित्री,लक्ष्मी भी है और लक्ष्मीबाई भी जो अंग्रेजों से अकेली भिड़ गई थी। अब हर महिला को अपने अंदर की लक्ष्मीबाई को जगाना
होगा,सबल बन अपना सम्बल स्वयं बनना होगा।अपराधी प्रवृत्ति के लोगों को एक जुट हो कर सबक सिखाना होगा। आत्मरक्षा के हर उपाय से सब को जाग्रत करना होगा। ऐसे नरपिशाचों को पीटते,घसीटते हुए ले जा कर थाने में पटकना होगा,सिर्फ सरक सरक कर चलती सरकारों के भरोसे कुछ नहीं होगा।
         अभिभावकों को अपनी संतान के प्रति सचेत रहना होगा।आधनिकता के नाम पर खुली छूट कुछ भी गुल खिला देगी बाद में हाथ मलते, पछताते रह जाओगे। दिल,दिमाग मे विकृत मानसिकता ही उकसाने का काम करती है।  आध्यात्मिक कहे जाने वाले इस देश में करोड़ों युवा अपना अधिकांश समय पोर्न वीडियो देखने मे बिता रहे होते हैं। नारी,कन्या पूजा के इस देश में रेप घटनाओं की बढ़ती अधिकता ने जन मानस को अंधेरे भविष्य के गर्त में डाल दिया है। अब समय आ गया है, अब रेपिस्टों के साथ रेप टेररिस्ट वाला सलूक किया जाए,सख्त कानून, प्रशासन का भय,त्वरित न्याय जब तक नहीँ होगा तब तो अंधेर नगरी चौपट राजा वाला हाल हो जायेगा, कोई डर नहीं की कुप्रवृत्ति आने वाली पीढ़ियों को नारकीय जीवन जीवन जीने को ही मजबूर कर देगी,समाज तभी बदलेगा,जब पहले तुम स्वयं को बदलोगे।आज "बेटी पढ़ाओ,बेटी बचाओ "अभियान के साथ साथ बेटा पढ़ाओ, संस्कार सिखाओ"अभियान की भी जरूरत है।
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पता: 
राजकुमार अरोड़ा 'गाइड'
बहादुरगढ़(हरियाणा)


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गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

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हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

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सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
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