शुभकामना
(कविता)
हमसे जब भी हुआ है अच्छा कामतब हमें मिली शुभकामना
हर बार लगता रहता पूरा वातायन प्यारा
मन की अनुभूति को लगता न्यारा
सबकी मिली आशीष अपने कर्म को
सुख के पल में भूल जाती अपने मर्म को
अपनत्व सा दिखता शुभकामना के भावों में
मरहम लग जाता है गहरे पड़े घावों में
तन मन सिहर उठता सुनने को ऐसे शब्द
तब कुछ करने को नया भाव जग जाता
उतावलापन छाने लगता तन पर
सब कुछ सह कर करने को
मन की अनुभूति को लगता न्यारा
सबकी मिली आशीष अपने कर्म को
सुख के पल में भूल जाती अपने मर्म को
अपनत्व सा दिखता शुभकामना के भावों में
मरहम लग जाता है गहरे पड़े घावों में
तन मन सिहर उठता सुनने को ऐसे शब्द
तब कुछ करने को नया भाव जग जाता
उतावलापन छाने लगता तन पर
सब कुछ सह कर करने को
लालायित रहती व्यक्ति की उम्मीद
वो करता है और भी अनगिनत नव सृजन
जिसमें शुभकामना साथ देती उसका
वर्चस्व बढाने में
कुछ करने में
शुभकामना से अंतस तेज प्रबल होता
और नया करने की उत्कंठा पैदा होती
एक आशा का संचार
कर देती शुभकामना आप मै और सभी
इसके चिर से परिचित है
इसलिए तो साथ चलती है शुभकामना
कर्मी के हर अच्छे कर्म तक।-०-
पता
श्रीमती दीपा परिहार
जोधपुर (राजस्थान)
वो करता है और भी अनगिनत नव सृजन
जिसमें शुभकामना साथ देती उसका
वर्चस्व बढाने में
कुछ करने में
शुभकामना से अंतस तेज प्रबल होता
और नया करने की उत्कंठा पैदा होती
एक आशा का संचार
कर देती शुभकामना आप मै और सभी
इसके चिर से परिचित है
इसलिए तो साथ चलती है शुभकामना
कर्मी के हर अच्छे कर्म तक।-०-
पता
श्रीमती दीपा परिहार
जोधपुर (राजस्थान)
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