*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Sunday, 5 January 2020

अंधी माँ का ख़त (कविता) - डॉ गुलाब चंद पटेल

अंधी माँ का ख़त

(कविता)

अमरुत से भरा है दिल मेरा,
जो समंदर जितना हे सच,
पूनम चंद के पप्पू के पास,
अंधी माँ लिखवाती खत

पप्पू उसका मुंबई गांव में,
परेश भाई प्रेम चंद नामे
लिखवाती है मैया,
पांच वर्षो में पहुची नहीं एक पाई
कागज की एक चिठ्ठी भी नहीं मिली मेरे भाई

समाचार सुनके तेरा,
रोना हमे कितने दिनों? 
नाती की का नाती लिखता है कि, 
पप्पू और मेरा मिलन होता है रोज रोज

पूरे दिन मजदूरी करे, 
होटल में रात को खाए 
रोज रोज नए कपड़े पहने 
पानी की तरह पेसे फेंके

होटल का खाना अच्छा नहीं, 
रखना खर्चे का हिसाब 
दवाई दारू के पेसे, 
कहा से लाएगा मेरे भाई

काया तेरी रखना रूडी 
हम गरीबो की वही है मुड़ी 
घर बेचा और खेत बेचा 
तंबू मे किया है निवास

गेहूँ कि रोटी मिले नहीं 
उस दिन अकेला पानी पीती 
तुम्हें मिले पकवान की थाली 
हमे मिले रोज चाय की प्याली

लोगो के घर काम में करती, 
अंधी माँ को कुछ नहीं देती धरती 
तेरे गांव बिजली के दिए 
मेरे घर अंधेरा पीए

लिखी तंग तेरी अंधी माँ का 
पढ़ना जय श्री कृष्णा 
घर में नहीं है अन्न का दाना 
अंधी माँ के लिए तुम कफन लाना

अब नहीं है जीने की इच्छा 
गुलाब चंद कहे एसा हे किस्सा 
माँ को तुम प्यार भी करना 
और उसके तुम पेर को छूना
-०-
डॉ गुलाब चंद पटेल
गाँधी नगर  (गुजरात)
-०-



***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

No comments:

Post a Comment

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ