(नववर्ष कविता)
इस नये साल
भुला कर द्वेष पुराने
कुछ रंगीन तस्वीरें
आज परदे पर उतारें
जातिगत भेदभावों से परे होकर
कुछ हिन्दू कुछ मुस्लिम होकर
देशभक्ति के राग अलपाए
चलो इतिहास के पन्नो में
कुछ नया लिख जाएँ ।।
सभ्यता, संस्कृति के रखवारे
हम कहलाए
अपने श्रेष्ठ व्यक्तित्व से
चारों ओर उजाला हम फैलाए
अन्धकार रुपी बादलों को हटाकर
सौहार्दपूर्ण वातावरण हम बनाएँ
चलो विश्व में हिन्दुस्तानियों का
परचम लहराए।
बाधाओं का काटे रास्ता
तूफानों का करें सामना
मातृभूमि की शान को
समझकर अपना मान
माँ भारती के चरणों में
समर्पित करें अपने प्राण
चलो फिर मन में
जोश उमंग भरे अपार
चलो कुछ नया करते हैं
इस नए साल ।।-०-
नेहा शर्मा ©®
अलवर (राजस्थान)
-०-
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