नई आस नया साल
(कविता)
नये सालके नये पल करते जा रहे हैं बेकल
कैसे होंगे वो पल न जाने, कैसे होंगे वो दिन
इंतजारमें जिसके बीत रहे हर दिन गिन-गिन
किसी को न हो कोई शिकवा न रहे कोई मलाल
जो भी दिन हो, लाये सबके लिए खुशियोंके गुलाल
नये साल की चहल-पहल बढ रही है पल-पल
नये सालके नये पल करते जा रहे हैं बेकल
उदासी हो जाए फनाह खिलेमुस्कान से मुखकवँल
दूर हो कांटे गमके राहोमें बिछ जाये मोगरेके फूल
बेगाने आपके बन जाए दोस्त हो जाये ऐसा बदल
बधाई नये सालकी न देकर मत करना कोई भूल
नये साल की चहल-पहल बढ रही है पल-पल
नये सालके नये पल करते जा रहे हैं बेकल
नई आस नया सपना ला रहा है नया साल
सबसे मिलो प्यारसे दुश्मनी सारी जाओ भूल
उनकी सुनो कुछ अपना सुनाओ दिलका हाल
मेल मिलापमें बीत जाये आनेवाला नया साल
नये साल की चहल-पहल बढ रही है पल-पल
नये सालके नये पल करते जा रहे हैं बेकल
-०-
श्रीमती रश्मि नायर
ठाणे (महाराष्ट्र)
-०-
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