■ आ गया नववर्ष ■
(कविता)
झूमों! आ गया नव वर्ष,
स्वीकारें हम सब सहर्ष!
स्वागत व अभिनंदन है,
नववर्ष में हो उत्कर्ष!!
नवचेतना का हो संचार,
ख़ुशियाँ हमें मिले अपार!
कटुता विषता ईर्ष्या द्वैष,
मन का मिटे सभी विकार!!
उम्मीदों का हो नया साल,
जन जन बनें ख़ुशहाल!
दुःख कष्ट सब मिटे हमारा,
फलें फूलें सब हों निहाल!!
नव सृजन नववर्ष में हो,
देश समाज घर में हर्ष हो!
इंसानियत का बढ़े दायरा,
अपनों से प्यार विमर्श हो!!
सर्वत्र हो प्रकाश,तम मिटे,
दुष्प्रवृत्तियां मेरे मन से हटे!
सद्भावना का संकल्प लें हम,
कर्त्तव्य पथ पर हम रहें डटे!!
सत्पथ पर सद्कर्म प्रण मेरा,
अराजकता का न हो घनेरा!
नव वर्ष में हमें ख़ुशियाँ मिले,
सर्वत्र फैले ज्ञान का सवेरा!!
स्वीकारें हम सब सहर्ष!
स्वागत व अभिनंदन है,
नववर्ष में हो उत्कर्ष!!
नवचेतना का हो संचार,
ख़ुशियाँ हमें मिले अपार!
कटुता विषता ईर्ष्या द्वैष,
मन का मिटे सभी विकार!!
उम्मीदों का हो नया साल,
जन जन बनें ख़ुशहाल!
दुःख कष्ट सब मिटे हमारा,
फलें फूलें सब हों निहाल!!
नव सृजन नववर्ष में हो,
देश समाज घर में हर्ष हो!
इंसानियत का बढ़े दायरा,
अपनों से प्यार विमर्श हो!!
सर्वत्र हो प्रकाश,तम मिटे,
दुष्प्रवृत्तियां मेरे मन से हटे!
सद्भावना का संकल्प लें हम,
कर्त्तव्य पथ पर हम रहें डटे!!
सत्पथ पर सद्कर्म प्रण मेरा,
अराजकता का न हो घनेरा!
नव वर्ष में हमें ख़ुशियाँ मिले,
सर्वत्र फैले ज्ञान का सवेरा!!
-०-
लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
-०-
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