नया वर्ष - आत्म चिंतन का वर्ष
(आलेख)
(आलेख)
नये साल का अर्थ होता है कैलेंडर में साल का बदलाव । अंग्रेजी महीने के हिसाब से 1 जनवरी साल का पहला दिन है जबकि भारत में विक्रम संवत यानी हिन्दी महीनों के नाम से प्रचलित कैलेंडर मे चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा को साल का पहला दिन माना जाता है । भारत सरकार के वितीय वर्ष की बात करे तो भारत में वितीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक निर्धारित किया गया है ।
वास्तविकता तो यह है कि प्रकृति स्वंय ही सुनिश्चित नैसर्गिक कैलेंडर है । प्रकृति और मौसम के इस बदलाव को कैलेंडर महीनों और तारीखों में गिनता है । रात को बारह बजते ही घडी की सुइयां नये साल की ओर आगे बढती है । दुनियां हर्ष और उल्लास से सरोबार हो जाती हैं । लोग खा पीकर नाच गाकर अपनी खुशी को व्यक्त करते हैं । परस्पर शुभकामनाओं का आदान प्रदान करके अपने मनोभावों को अभिव्यक्त करते हैं । हर कोई अपने जानने वालों को बधाई देता है और आने वाले समय में उसके भले और सफलता की कामना करता है ।
नया साल मात्र केलैंडर के पन्ने बदलना ही नहीं है अपितु जहां एक ओर हम पलख पावडे बिछा कर नये वर्ष का स्वागत करते हैं वही दूसरी ओर पिछले साल हम में क्या कमियां रही उसका अवलोकन कर उन कमियों को इस साल दूर करें । नये साल पर हम आत्म चिंतन करे तो हमें सोचना चाहिए कि समाज में व्याप्त बुराइयों, कुरीतियों, भ्रष्टाचार, कन्या भ्रूण की हत्या, दहेज प्रथा, बाल विवाह बंद हो । जातिवाद, भाई-भतीजावाद, घिनौनी राजनीति का अंत हो । देश में वृध्दा आश्रमों की संख्या न बढे । हम अपने वृध्द माता पिता की सेवा करें । समाजोत्थान के लिए कार्य करें । शराब, जुआ , वेश्यावृत्ति से दूर रहे । घर परिवार के लोगों की ओर पूरा ध्यान देकर उनकी जरूरतों को समय पर पूरा करें ।
नये वर्ष पर अपने बच्चों को व युवा पीढी को अपनी संस्कृति का ज्ञान कराये । प्रकृति से प्रेम करना सिखायें । उन्हें मुश्किलों से कैसे निपटा जाये यह बात बतलाई जाये चूंकि हर व्यक्ति में कोई न कोई हुनर अवश्य ही होता है और कठिन परिश्रम के बिना कुछ भी आसानी से हासिल होने वाला नहीं है ।
नये वर्ष पर यह संकल्प ले कि जिन्दगी में संघर्ष के बीच किस तरह से जिम्मेदारियों का हम पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ निर्वहन कर सकते हैं एवं सांस्कृतिक व नैतिक मूल्यों के विकास में किस तरह से सहायक हो सकते हैं एवं नकारत्मक विचारों का त्याग करके सकारात्मक सोच को लेकर चलें । निरर्थक वाद विवाद न करें । परिजनों के साथ समय आनंद पूर्वक बिताये । इतना ही नहीं दृढ मनोबल व आत्मविश्वास के साथ प्रत्येक कार्य को सफल बनायें ताकि घर परिवार में, समाज व राष्ट्र में एवं गृहस्थ जीवन में शांति बनी रहे । क्रोध एवं वाणी पर नियंत्रण रखें तथा सरकार विरोधी प्रवृत्तियों से दूर रहें व भावुकता में न बहे ।
इसी के साथ साथ देश को साफ सुथरा बनाये और दूसरों को भी मिलजुल राष्ट्र के नव निर्माण में सहयोग प्रदान करने के लिए प्रेरित करे तभी नया साल हम सही मायने में हर्ष और उल्लास से सरोबार होकर मना पायेगे अन्यथा हर साल की तरह यह वर्ष 2020 यूं ही निकल जायेगा और हम मात्र मनसूबे बनाते रहेंगे । समय कभी रूकता नहीं है ।
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सुनील कुमार माथुर ©®जोधपुर (राजस्थान)
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