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Saturday 14 December 2019

अभिनन्दन का अभिनन्दन (कविता) - संजय कुमार सुमन


अभिनन्दन का अभिनन्दन
(कविता)
करते हैं हम कलमकार
वीर शौर्य अभिनन्दन का
भारत में नंदन है
अपने वतन की वापसी पर
हर तरफ जश्न ही जश्न है
कहीं फूट रहे पटाखे
कहीं लग रहे जय जयकार
भारत माता के
जन-जन को है इंतजार
योद्धा अभिनंदन का
होगा नंदन
जीत के अभिनंदन का
मनेगी होली
होगी दीपावली
बटेगी मिठाई
बजेंगे ढोल नगारे
वीर तुम अभिनंदन हो
नंदन-चंदन अभिनन्दन का
हीरो का वंदन
अभिनन्दन का अभिनन्दन
-०-
संजय कुमार सुमन
मंजू सदन,चौसा मधेपुरा 852213(बिहार)
-०-

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माह नवंबर २०१९ की सर्वोत्कृष्ट सृजन

सृजन महोत्सव के माह नवंबर की उत्कृष्ट रचनाओं की  हुई घोषणा
               आप सभी को बताते हुए हर्ष हो रहा है कि दीपावली के पावन पर्व पर प्रारंभ किए इस पटल पर आज तक दो सौ से भी अधिक साहित्यकार एवं उनकी लगभग तीनसौ रचनाएं प्रकाशित की जा चुकी है. सभी रचनाकारों की विभिन्न विधाओं में प्रेषित और इस पटल पर प्रकाशित रचनाएं मौलिक एवं स्तरीय है, इसमें कोई दोराय नहीं है. नवंबर के प्रारंभ में पटल के संपादक द्वय द्वारा की घोषणा के अनुसार गद्य एवं पद्य विधा की सर्वाधिक पसंद की गई गद्य एवं पद्य विधा की रचनाओं को सम्मान पत्र दिया जा रहा है. आपको बताते हुए हर्ष हो रहा हैं कि सिर्फ नवंबर माह में लगभग २२५  गद्य तथा पद्य विधाओं की रचनाएं प्रकाशित की जा चुकी है. आप सभी सृजन धर्मियों का बहुत ही अच्छा प्रतिसाद, स्नेह और प्रेम मिला. इसके चलते आज तक लगभग १४,००० लोगों ने इस पटल को भेट दी है.
                     आज इस पटल के माह नवंबर २०१९ के सर्वाधिक पसंदीदा गद्य तथा पद्य विधा की रचनाओं के रचना शिल्पियों को सृजन महोत्सव परिवार की और से सम्मानित किया जा रहा है. वह निम्न हैं -

पद्य विधा में 
मोनिका शर्मा जी की रचना 'वे दिन' पर
 "पद्य सृजन शिल्पी"
से पटल की ओर से सम्मानित करते हुए तथा
 सम्मान पत्र सपुर्द करते हुए हर्ष हो रहा हैं.
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गद्य विधा में 
ज्ञानप्रकाश 'पियूष' जी की लघुकथा 'इज्जत का सवाल' पर
 "गद्य सृजन शिल्पी"
से पटल की ओर से सम्मानित करते हुए तथा
 सम्मान पत्र सपुर्द करते हुए हर्ष हो रहा हैं. 

यह रचना पढ़ने के सम्मान पत्र पर क्लिक करें
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दोनों सृजन शिल्पियों का एवं हमारे साथ जुड़े सभी साहित्य कर्मियों का
हार्दिक आभिनंदन !!!





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पलायन (पद्य-दोहे ) - डॉ० धाराबल्लभ पांडेय 'आलोक'


पलायन
(पद्य-दोहे )

गांव और खलिहान सब, रहते थे भरपूर।
घर घर में खुशियां भरी, पुष्प बिखेरे नूर।।

गरमी या बरसात हो, या सर्दी हेमंत।
चहल-पहल थी गांव में, सुनते वाणी संत।।

हुआ आज क्या अचानक, गांव हुए वीरान।
धरती बंजर है पड़ी, बाग खेत खलिहान।।

घरों में ताले हैं पड़े, आगन उगी है घास।
बंदर, जंगली-जीव सब, गांव बीच घर-पास।।

डर लगता एकांत में, रहना गांव के बीच।
राह भरी है झाड़ियां, लेते वसन हैं खींच।।

पलायन घर से हुआ, गए शहर की ओर।
शुद्ध हवा जल छोड़कर, स्वच्छ, स्वस्थ शुभ भोर।।

शहरों की आलस भरी, मस्ती में सुख ढूंढ।
प्रदूषित जल-वायु में, रोगी तन आरूढ़।।

दशा आज यह देखिए, चलवाणी में खोय।
सुध-बुध की नहीं होश है, व्हाट्सएप के बस होय।।

आगे जाने राम ही, क्या होगा परिणाम।
पर्यावरण की दुर्दशा, अब जीवन के नाम।।

शहरों का यह छल भरा, आकर्षण ले जाय।
गांव उजाड़े लोग सब, निज घर छोड़े जांय।।
-०-
डॉ० धाराबल्लभ पांडेय 'आलोक'
अध्यापक एवं लेखक
अल्मोड़ा (उत्तराखंड)


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अन्जाना कोई आया है (कविता) - रीना गोयल

अन्जाना कोई आया है
(कविता)
जीवन के सूने आँगन में,अन्जाना कोई आया है ।
महक उठी तन की फुलवारी,मन यह कैसा मुस्काया है ।

धड़कन में सांवरिया बसते ,हाँ मैने स्वीकार किया था ।
बहुत मनाया पागल दिल को ,पर दिल ने प्रतिकार किया था ।
मीत मिले सपनों से सुंदर ,खुद पर ही मन इतराया है ।
महक उठी तन की फुलवारी,मन यह कैसा मुस्काया है ।

गूंज उठे स्वर शहनाई के ,डोली लेकर साजन आये ।
सखियां करती हसीं -ठिठौली ,सजना तेरे तुझे बुलाये ।
पूरी हर अभिलाषा होगी ,सजन सजीला मन भाया है ।
महक उठी तन की फुलवारी,मन यह कैसा मुस्काया है ।

दशों दिशा से मिले बधाई ,शुभ- विवाह की बेला आयी ।
कर सोलह शृंगार सखी मैं ,सज धज कर पी के घर आयी ।
अधरों पर मुस्कान अनोखी ,रंग प्रीत का गहराया है ।
महक उठी तन की फुलवारी,मन यह कैसा मुस्काया है ।
-०-
पता:
रीना गोयल
सरस्वती नगर (हरियाणा)

-०-

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पानी का महत्त्व (आलेख) - रूपेश कुमार

पानी का महत्त्व
(आलेख)
प्राकृतिक संसाधनों में जल एक ऐसा आधारभूत संसाधन है, ज़िसके बिना पृथ्वी तल पर जीवन की कल्पना असंभव है ! अगर देखा जाए तो हमारे देश में लगभग 20 करोड़ लोगों को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल पाता है और पूरे विश्व में यह आंकड़ा 1.30 अरब का और दुनिया भर में लगभग हर रोज लगभग को 6 अरब लोगों की मौत अशुद्ध पानी पीने से हो जाती है ! पृथ्वी पर जितना भी पानी मौजूद हैं उसका 97 प्रतिशत भाग खारा है सिर्फ 3% हिस्सा ही पीने योग्य पानी का है इसमें से भी 2% पानी बर्फ के रुप मे हैं ! यानि हमारे पास पीने योग्य पानी सिर्फ 1% ही हैं ! वहीं विश्व में प्रति 10 व्यक्तियों में से 2 व्यक्तियों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल पाता है ! आज ग्लोबल वार्मिंग के कारण जल और वायु सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं ! तापमान की अधिकता के कारण दुनिया भर के ग्लेशियर बड़ी तेजी से पिघल रहे हैं इसका सबसे बड़ा कारण शुद्ध जल भंडारों के क्षरण के रूप में होगा ! इनकी पिघलने से नदियों में पहले तेज बाढ़ आ जाएगी और फिर सूखने लगेगी ! नदियों और अन्य जलाशयों में पानी की उपलब्धता कम हो जाएगी और पानी के लिए हाहाकार मच जाएगा ! इन दिनों अफ्रीका के अनेक देश दूषित पानी पीने के लिए मजबूर है जिसका परिणाम यह है कि वहां के लोग अनेक रोगों से ग्रसित हैं ! विश्व स्तर पर पर्यावरण और पानी बचाने के लिए अनेक सम्मेलन होता हैं ! इसमे बड़े-बड़े नेता इसके लिए राय भी देते हैं तमाम तरह के कानून बनाते हैं लेकिन जमीनी स्तर पर इसे लागू नहीं कर पाते जिसका परिणाम है कि लगातार जल संकट गहराता जा रहा है ! जिस स्तर से जनसंख्या बढ़ रही है पानी की मांग उतनी ही बढ़ती जा रही हैं ! एक अध्ययन से पता चला है कि सन 2025 तक विकासशील देशों में पानी की मांग मे 50 फिसदी की व्रिधि हो जायेगी जबकि विकसित देशों में पानी की खपत में 18 फ़ीसदी की बढ़ोतरी होगी ! जब पानी की उपलब्धता कम हो जाएगी तब स्वभाविक है कि पाने के लिए लोग आपस में लड़ेंगे सभी देश यही कोशिश कर रहे हैं की जो भी नदियां हैं उन्हें अपने देश की दिशा में मोड़कर अधिक से अधिक पानी का उपयोग कर सकें ! जिससे दूसरे देश को मिलने वाला पानी बंद हो जा रहा है पानी के बंटवारे को लेकर कई देशों के बीच विवाद उढ़ने भी शुरू हो चुके हैं ! यदि इस स्थिति को समय रहते नहीं सुधारा गया तो सचमुच तीसरा विश्व युद्ध पाने के लिए ही होगा ! भविष्य में जल संकट से निजात पाने के लिए सरकारी और व्यक्तिगत दोनों ही स्तर पर प्रयास होना चाहिये ! विकसित और विकासशील देश आपसी समझौते के तहत कार्बन उत्सर्जन की मात्रा कम कर के ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित कर सकते हैं ! इससे ग्लेशियरो का पिघलना कम होगा और जल संकट भी दूर हो सकेगा ! इसलिए जीवन को बचाने के लिए पानी का संरक्षण अति आवश्यक है ! इससे निष्कर्ष निकलता है कि जल से जल संसाधन का उपयोग करें , दुरुपयोग नहीं !
कहा गया है कि .......
"जल जीवन का अनमोल रतन,
इसे बचाने का करो जतन !"
-०-
पता:
रूपेश कुमार
चैनपुर,सीवान बिहार
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व्यापार (लघुकथा) - संतोष श्रीवास्तव

व्यापार
(लघुकथा)
सभी समाचार चैनलों के फोन खटखटाए उदय प्रताप फाइनेंस कंपनी के डायरेक्टर तीरथसिंह केडिया ने।
"देश के चौथे नंबर के बिजनेसमैन श्री उदय प्रताप माहेश्वरी की शव यात्रा है उन की कोठी से मुक्ति धाम तक पूरी कवरेज चाहिए।" 
फोन रखते ही तीरथ सिंह के दिमाग में बिजली सी कौंधी। चींटी की चाल से चलती शव यात्रा के रास्ते में जितनी भी दुकानें हैं उन पर भी तो कैमरा फोकस होगा ।यह तो मुफ्त की पब्लिसिटी है दुकानों की । चालीस साल उदय प्रताप माहेश्वरी के कोष को विभिन्न स्रोतों से खूब भरा है तीरथ सिंह ने और उसकी इस बात का लोहा उदय प्रताप महेश्वरी भी मानते थे। लेकिन वह यह काम किसी दूसरे को नहीं सौंपेगा। उसने खुद ही सभी दुकानों के मालिकों को मिलने आने को कहा। उदय प्रताप माहेश्वरी के रुतबेदार सेक्रेटरी तीरथ सिंह का कहा कौन डालता? सब तीरथ सिंह के बंगले पर आपातकालीन मीटिंग में शामिल हुए। दुकानों की पब्लिसिटी के लिए बड़ी रकम वसूल कर तीरथ सिंह शव यात्रा की संपन्न हो चुकी तैयारी वाले हॉल में पहुँचा 
फूलों से पैरों से गले तक ढके उदय प्रताप का चेहरा देख तीरथसिंह की आँखे जेब में रखे नोटों के बोझ से झुक गईं। झुकी आँखों ने उदयप्रताप माहेश्वरी के किंचित मुस्कुराते चेहरे को देखा । उन्हें लगा मानो वे कह रहे हैं 
"वाह तीरथ सिंह मेरी शव यात्रा का भी व्यापार कर डाला तुमने।"
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संपर्क
संतोष श्रीवास्तव
भोपाल (मध्य प्रदेश)


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सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
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सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

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हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ