अन्जाना कोई आया है
(कविता)
जीवन के सूने आँगन में,अन्जाना कोई आया है ।
महक उठी तन की फुलवारी,मन यह कैसा मुस्काया है ।
धड़कन में सांवरिया बसते ,हाँ मैने स्वीकार किया था ।
बहुत मनाया पागल दिल को ,पर दिल ने प्रतिकार किया था ।
मीत मिले सपनों से सुंदर ,खुद पर ही मन इतराया है ।
महक उठी तन की फुलवारी,मन यह कैसा मुस्काया है ।
गूंज उठे स्वर शहनाई के ,डोली लेकर साजन आये ।
सखियां करती हसीं -ठिठौली ,सजना तेरे तुझे बुलाये ।
पूरी हर अभिलाषा होगी ,सजन सजीला मन भाया है ।
महक उठी तन की फुलवारी,मन यह कैसा मुस्काया है ।
दशों दिशा से मिले बधाई ,शुभ- विवाह की बेला आयी ।
कर सोलह शृंगार सखी मैं ,सज धज कर पी के घर आयी ।
अधरों पर मुस्कान अनोखी ,रंग प्रीत का गहराया है ।
महक उठी तन की फुलवारी,मन यह कैसा मुस्काया है ।
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