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Monday 3 August 2020

ओ मेरी प्यारी बहना (कविता) - राघवेंद्र सिंह 'रघुवंशी'



ओ मेरी प्यारी बहना 
(कविता)
ओ मेरी प्यारी बहना आंगन की है तू गहना
भगवान से दुआ है तू खुश हमेशा रहना..
ओ मेरी प्यारी बहना आंगन की है तू गहना
भगवान से दुआ है तू खुश हमेशा रहना..

मम्मी की लाडली तू पापा की है दुलारी
दुनिया की सारी दौलत से है तू हमको प्यारी
मम्मी की लाडली तू पापा की है दुलारी,
दुनिया की सारी दौलत से है तू हमको प्यारी

आंगन की बगिया में तू
आंगन की बगिया में तू यूँ चहचहाते रहना
भगवान से दुआ है तू खुश हमेशा रहना…
ओ मेरी प्यारी बहना आंगन की है तू गहना
भगवान से दुआ है तू खुश हमेशा रहना…

तुमसे जहां है सारा संसार तू हमारा
तेरी खुशियों खातिर मैंने जीवन ये अपना वारा
तुमसे जहां है सारा संसार तू हमारा
तेरी खुशियों खातिर मैंने जीवन ये अपना वारा

बन के तू पावन गंगा
बन के तू पावन गंगा आंगन में मेरे बहना
भगवान से दुआ है तू खुश हमेशा रहना..
ओ मेरी प्यारी बहना आंगन की है तू गहना
भगवान से दुआ है तू खुश हमेशा रहना…

राखी बंधाने खातिर है हाजिर मेरी कलाई
तू मेरी प्यारी बहना मैं हूं तुम्हारा भाई
राखी बनाने खातिर है हाजिर मेरी कलाई
तू मेरी प्यारी बहना मैं हूं तुम्हारा भाई

तकलीफ गर तुम्हें हो
तकलीफ गर तुम्हें हो निसंकोच मुझसे कहना
भगवान से दुआ है तू खुश हमेशा रहना..
ओ मेरी प्यारी बहना आंगन की है तू गहना
भगवान से दुआ है तू खुश हमेशा रहना...
-०-
पता- 
राघवेंद्र सिंह 'रघुवंशी'
हमीरपुर (उत्तर प्रदेश)

-०-

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दोस्ती (कविता) - सोनिया सैनी

दोस्ती
(कविता)
रक्त संबंध सा प्रगाढ़
पावन हृदय का साज
है, दोस्ती

दो भावपूर्ण हृदय का
पवित्र राग है ,
दोस्ती

इस संसार रूपी भवर
में ठंडी सुख की बयार
है, दोस्ती

नभ तो विस्तृत है
उससे भी अधिक
विस्तार है, दोस्ती

हर परिस्थिति में हाथो
में हाथ है, ,दोस्ती

एक दूसरे पर, बिन
मांगा अधिकार है ,
दोस्ती

मोहब्बत से भी
एक दो कदम आगे का
नाम है,
दोस्ती।
-०-
पता:
सोनिया सैनी
जयपुर (राजस्थान)

-०-


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रक्षाबंधन (कविता) - लक्ष्मी बाकेलाल यादव


रक्षाबंधन
(कविता)
भाई- बहन का इस जग में
रिश्ता बड़ा निराला है
कभी धूप तो कभी छाँव की तरह
आँगन में इनसे उजियारा है

जिस घर में हो भाई- बहन
वह घर खुशियों से भरा रहता है
प्यार- स्नेह का भूखा
नाता यह गजब अनोखा है

बड़ा भाई लगे पिता समान
छोटा दे बेटे सा सम्मान
माँ की कोख़ से ही उसने
बहन की रक्षा का भार उठाया है

हों चाहे कितने भी शिकवे-गिले
पलभर में सबकुछ भूला यह देते है
बिन बोले बताये ही इकदूजे के प्रति
अपना कर्तव्य ये निभाते हैं...
***
पता:
लक्ष्मी बाकेलाल यादव
सांगली (महाराष्ट्र)

-०-



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रक्षाबंधन (कविता) - डॉ. नीलम खरे


रक्षाबंधन
(कविता)
भावों का है मेला,मन चहके ,महके सावन।
लगता सबको सुखकर, प्रिय, रक्षाबंधन ।।

अहसासों की बेला,प्रीतातुर यह बंधन
नेह पल्लवित होता,उल्लासित  जीवन
कजरी,झूले,मेले,टिकुली,चटख रंग की मेंहदी
सावन का ये पर्व अनूठा,खुश भाई-दीदी

शुभ-मंगलमय गीत,पर्व का अभिनंदन ।
लगता सबको सुखकर, प्रिय, रक्षाबंधन ।।

बहना का दिल मंदिर,अंतर्मन गीता
 वीरा भी भावों में ,कोय नहीं रीता
गली,मोहल्ले,सारी बस्ती में खुशियां
महल,झोंपड़ी खुश,हर इक की खुश दुनिया

बेटी आई पीहर से,हर्षित आँगन ।
लगता सबको सुखकर, प्रिय, रक्षाबंधन ।।

बचपन की मधुरिम यादों का,यह उपवन
पावन और निष्कपट है रक्षाबंधन
धागा कच्चा,पर पक्का, ना यह टूटे
धर्म,नीति कहती है,साथ नहीं छूटे

कर पर राखी,माथे टीका, है वंदन ।
लगता सबको सुखकर, प्रिय, रक्षाबंधन ।।
-०-
डॉ. नीलम खरे
व्दारा- प्रो.शरद नारायण खरे, 
मंडला (मध्यप्रदेश)


***
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रक्षाबंधन है राखी का त्यौहार (कविता) - अतुल पाठक 'धैर्य'



रक्षाबंधन है राखी का त्यौहार
(कविता)
अटूट धागों के बंधन में
स्नेह का उमड़ रहा संसार

पूरे जग में सबसे सच्चा
है भाई-बहन का प्यार

यह शुभ दिन आज मनाते
रक्षाबंधन है राखी का त्यौहार

रेशम के धागे से बंधा है
बहना का अनमोल प्यार

हर सावन में आती है
बेशुमार ख़ुशियों की बहार

बहन भाई के लिए दुआ मांगती
यूंही कृपा रखना तारनहार

भाई बहन की रक्षा में
सदा होता खड़ा तैयार

है वादा ये भाई का बहन से
निभाऊं फर्ज़ ये प्यार

सब रिश्तों में अनमोल है रिश्ता
भाई बहन के दिल में बसता

माथे पर रोली तिलक लगाती
भाई की कलाई राखी से सजाती

बदले में अपने भाई से
रक्षा का वादा है पाती

अपने स्नेह भरे हाथों से
भाई को मिठाई खिलाती

फिर भाई से अपने वो
है अमूल्य तोहफ़े पाती

भाई बहन के अटूट विश्वास
स्नेह से सजा सारा संसार

नाम इसका बड़ा ही पावन
रक्षाबंधन है राखी का त्यौहार
पता: 
अतुल पाठक  'धैर्य'
जनपद हाथरस (उत्तरप्रदेश)

-०-

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