हो कर मायूस
(गजल)
हो कर मायूस सब बेजार बैठे हैं, ले डिग्री की गठरी बेकार बैठे हैं ।
रोजगार समाया सत्ता की आगोश में,
सिर्फ मैं नहीं मेरे कितने यार बैठे हैं।
बदलना होगा समाज की सोच अब,
जंग तो छेड़ो हम तैयार बैठे हैं ।
निकले किस गली से घर की बहू बेटियां,
हर तरफ जिस्म के खरीदार बैठे हैं ।
कर्म करो ऐसा की फक्र हो तुझ पर,
तुम पर हंसने को तेरे रिश्तेदार बैठे हैं ।
एक तरफा प्यार वैसा ही होता जैसे-
नाव इस तरफ मांझी उस पार बैठे हैं ।
जिस से हाथ मिलाना जरा परखना सत्यम
इंसानों के अंदर कितने किरदार बैठे हैं ।