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Tuesday 8 September 2020

ग्राम्या गौरैया (कविता) - शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’

मन का वृंदावन
(कविता)
भूल गई ग्राम्या गौरैया,
काँटों से हँसते बबूल पर,
नीड़ों की मड़ई का छाना |

जहाँ कभी गंगा के तट तक,
आ जाती थी पैदल वरुणा,
आँसू के सँग बतियाती थी,
साथ बैठकर नियमित करुणा,
नहीं कहीं भी नोंक-झोंक थी,
नहीं कहीं थे, चौकी-थाना |

नये समय के वर्तमान  की,
बदल गई है हर परिपाटी,
सात्विकता के मठ में ठहरे,
भोगवाद के चेले-चाटी,
पंछी बंद पड़े पिंजरों में,
गाते चलचित्रों का गाना |

अधिकारों पर हक है हठ का,
रंगभेद की नई सदी है,
अस्त्र-शस्त्र की पहरेदारी,
युद्धपोत से लहर लदी है,
अब समाज के संघर्षों को,
संयम मार रही है ताना |

कहाँ पहुँच आए हैं अब हम,
जहाँ नैकटिक परंपरा है,
अवतारों की मृगतृष्णा में,
खड़ी भक्ति की स्वयंवरा  है,
यहाँ पुष्टि होती जीवन की,
शहर बसा कितना अनजाना |
-०-
पता: 
शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ (उत्तरप्रदेश)
-०-


***
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एक दिन सब ठीक होगा (कविता) - सविता दास 'सवि'

एक दिन सब ठीक होगा
(कविता)
मेरी कविता 
पलायन है
यथार्थ से,
असफलताओं से,
निराशाओं से,
उस झूठे 
दिलासे से,
जो कहता है
एक दिन 
सब ठीक होगा।

मेरी कविता दिशा है
जिस ओर 
जाना चाहता है...
व्याकुल मन,
हर दिन की 
नई उलझन,
और वह चिंतित क्षण
जो कहता है
एकदिन सब ठीक होगा।

मेरी कविता मेरी प्रेरणा है
जिसने मुझे 
आश्रय दिया,
स्वार्थी भीड़ से
हाथ खींच कर
उबार लिया
हर उस झूठे 
वादे से बचा लिया
जो कहते थे 
एक दिन सब ठीक होगा।

मेरी कविता मेरा पहला प्रेम है
जिसने मुझसे
मेरी पहचान कराई
सपनों के सच
होने की राह
दिखलाई
हर दिन एक
नई उम्मीद जगाई
मेरी कविता आज
मेरा हाथ थाम कर 
कह रही है
एक दिन सब ठीक होगा।
-०-
सविता दास 'सवि'
शोणितपुर (असम) 


-0-
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माँ (कविता) - सुरेश शर्मा

माँ
(कविता)
मैं तेरे समक्ष एक तुच्छ सा तिनका ,
माँ ! कैसे करूं  मैं तेरी गुणगान ।
सारे जहां मे ढूंढा ना मिला तुमसा ,
फींका  लगा दुनिया के सारे  भगवान ।

कितना भी कष्ट और दुःख दर्द क्यों ना हो ,
माँ ! तुझे  पाकर खिल जाती  मुस्कान ।
तेरी प्यारी सी ममताभरी स्पर्श में आते हीं ,
मिट जाती है दिनभर की सारी थकान ।


तुम हो तो  जीवन में खुशियों की बौछार ,
माँ ! तुम नही तो मेरी सारी दुनिया वीरान ।
तुमसे ही जुड़ी हुई है जिन्दगी की हर विकास
तुम ही हो मेरी गुरुकुल मेरी  शिक्षण संस्थान ।
-०-
सुरेश शर्मा
गुवाहाटी,जिला कामरूप (आसाम)
-०-

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