आओ प्याज़ प्याज़ खेलें
(व्यंग्य)
क्या कमाल है!प्याज़ कितना बाहुबली हो गया है?तख़्त पर बैठा भी देता है, तख़्त से हटा भी देता है। प्याज़ के ही चक्कर में दिल्ली में एक सरकार ओंधे मुँह गिर चुकी है।जो मोदी जी 2013 में प्याज़ की कीमत 80 रुपये होने पर लॉकर में रखने का उपदेश दे रहे थे,अब उनके राज में अब150 रुपये पार हो जाने पर चुप क्यों हैं?
एक अजीब सी विडम्बना देखिये,दिल्ली में प्याज़ की माला पहन कर सत्ता धारीआम आदमी पार्टी वाले भी और भाजपा,कांग्रेस वाले भी प्रदर्शन कर रहें हैं।दिल्ली में सत्ता की द्रोपदी के दावेदार कई हैऔर प्रशासन भी कई सरकारों में बंटा है।हर किसी को अपनी राजनीति चमकानी है।जनता की परवाह किसी को नहीं महंगाई, प्रदूषण, अवैध कब्ज़े, आग लगने की दुर्घटना कुछ भी हो,ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ते है। अब प्याज़ महंगा होने पर
जब केंद्र सरकार सस्ते दामों पर उपलब्ध ही नहीं कराये,राज्य सरकारें क्या करें?कई दशकों से हर सरकार में मंत्री रहे पासवान जी भी पल्ला झाड़ कर खड़े हो गये तो पक्ष विपक्ष की सरकारें क्या करें?32000 टन प्याज़ गोदामो में सड़ गया। उसका जिम्मेदार कौन?
प्याज़ के रोज़ बढ़ते दामों ने आढ़तियों व जमाखोरों की चांदी कर दी,बेबस जनता बेचारी करे भी तो क्या? जो गृहिणी अपने अंदर के आंसुओं को प्याज़ काटने के बहाने छुपा लेती थी,अब तो प्याज़ के भाव सुन कर ही उसके आँसू निकल आते हैं। प्याज़ के दोहरे शतक ने तो रोहित,विराट को पीछे छोड़ दिया। प्याज़ के रॉकेट की तरह बढ़ते दामों पर जनता मीम्स, कार्टून के द्वारा मनोरंजन से अपने दुःख ,क्षोभ को भुला रही है, कुछ बानगी देखिये-
"कहो न प्याज़ है!"
"प्याज़ ही तो है"
"सोना नहीं,चांदी नहीं प्याज़ चाहिए"
"वक्त कब बदल जाये,पता नहीं लगता,आज प्याज़ का सेब,आम,अनार जैसों के साथ उठना बैठना है"
"बरसों से साथ निभा रहे आलू ने प्याज़ को प्रपोज़ किया,प्याज़ो तुनक कर बोली,तेरा मेरा अब क्या मुकाबला"
"ये प्याज़ मुझे दे दे ठाकुर"
"तुम्हें चारों और से पुलिस ने घेर लिया है, अपनी सारी प्याज़ कानून के हवाले कर दो"
जिनके घर प्याज़ के सलाद होते हैं, वो बत्ती बुझा कर खाना खाते हैं"
"मेरे कर्ण अर्जुन आयेंगे, दो किलो प्याज़ लायेंगे"
"लगता है, सब्ज़ीमंडी में नये नये आये हो,यहाँ सब
मुझे"प्याज़"के नाम से जानते हैं"
"मेरे पास बंगला है, गाड़ी है, बैंक बैलेंस है, रुपया है, पैसा है, तुम्हारे पास क्या है? मेरे पास पचास किलो प्याज़ हैं"
"चिनॉय सेठ,प्याज़ बच्चों के खेलने की चीज़ नहीं, कट जाये, तो आंसू निकल आते हैं"
"मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता, प्याज़ हो तो अलग बात है"
"क्या करूँ,इज्ज़त दांव पर है, पड़ोसन प्याज मांगने आई है, और बीवी प्याज़ गिन कर रख गई है"
"क्या कहा,प्याज़ का परांठा चाहिए, बेलन पड़ जाएगा"
"कई होटलों में बोर्ड लग गये"प्याज़ मांग कर शर्मिंदा न करे"
एक घर में चोरी करने गयेचोर ने जैसे ही किचन में टोकरी प्याज़ से भरी देखी, उसके मुहँ से निकला "बड़ा मालदार आसामी लगता है, खूब माल हाथ लगेगा"
"मोदी राज है, खाना मुश्किल हुआ प्याज़ है"
"धारा 370 हटने पर जो कश्मीर में प्लॉट खरीदने की बात कर रहे थे,वो अब प्याज़ भी नहीं खरीद पा रहे"
मोदी जी आप तो बेरोज़गारों को पकौड़े तलने की सलाह दे रहे थे, अब तो ये काम भी दूभर हो गया।
प्याज़ इतना बाहुबली हो गया,सब तरफ खलबली मची है। बढ़ती चोरियों के कारण आढ़तियों,व्यापारियों को गार्ड रखने पड़ रहे हैं, किसानों को खेत में पहरे देने पड़ रहे हैं। गरीब का यह खाना अब गिने चुने अमीरों का ज़ायका हो गया। सरकार अब जागी है, पर विदेशों से आने में समय लगेगा।
तय सीमा से ज्यादा रखने वाले जमाखोरों पर सही से कार्यवाही हो तो भाव भी कम हों, माल भी बाज़ार में दिखेगा,पर राजनीति,आरोप प्रत्यारोप में लगे ये नेता जनता को यूँ ही पिसने पर मज़बूर करते रहेंगे।माल उगाने वाला किसान कभी शासन ,कभी प्रकृति के प्रकोप में उलझा रहता है, मौज़ तो बिचौलियों की ही हर बार
होती है।
क्या अजीब विडम्बना है, प्याज़,पेट्रोल, अन्य खाद्य पदार्थों की महंगाई से त्रस्त जनता की पुकार हर बार अनसुनी रह जाती है, प्रचंड बहुमत ने सरकार को इतना निरंकुश कर दिया है, घटती विकास दर, बढ़ती महंगाई, आर्थिक मोर्चे पर विफलता के बाद भी वह आश्वस्त हैं कि हमारा किसी भी तरह से बालबांका नहीं होगा,अलग अलग खेमों में बंटा विपक्ष अपनी धज्जियां खुद उड़ा रहा है, यही हाल रहा तो 2024 में भी 2019 का इतिहास दोहराने से कोई
रोक नहीं पायेगा।बस इसी तरह प्याज़ प्याज़ खेलती केंद्रीय व राज्य सरकारें मूलभूत मुद्दों से दूर, जनता को शतरंज की बिसात पर प्यादे की तरह छोड़ दिया जायेगा ।
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पता:
राज कुमार अरोड़ा 'गाइड'
बहादुरगढ़(हरियाणा)