हम उम्र साथी चाहिए
(कविता)
माँ मुझे गुड़िया जैसी
बहना चाहिए
मैं खेल सकूं जिसके साथ
ओ मेरे संग रहना चाहिए
माँ मुझे गुड़िया जैसी बहना चाहिए
माँ जब तुम चली जाती हो काम पर
मैं बोर हो जाता हूं
अकेले बैठे बैठे
ऐसे तो घर में कोई
अपना होना चाहिए
माँ मुझे गुड़िया जैसी बहना चाहिए
दाई माँ के भरोसे तुम
मुझे छोड़कर जाती हो
वह कितनी देर तक मुझे संभालेगी
वह तो बैठे-बैठे सो जाती है
उसे भी तो आराम चाहिए
माँ मुझे गुड़िया जैसी बहना चाहिए
कोई बच्चा बड़ों के संग
कितना देर खेले
उसके लिए तो उसे
उसका हमउम्र साथी चाहिए
माँ मुझे गुड़िया जैसी बहना चाहिए
दफ्तर से लौट कर
तुम भी थक जाती हो
फिर बीना मुझे लोरी सुनाए सो जाती हो
पापा को तो टीवी पेपर
और किताब चाहिए
माँ मुझे गुड़िया जैसी बहना चाहिए
किसके लिए आप दोनों
पैसे जमा कर रहे हो
माँ- बाप के रहते मैं
अनाथ सा हो गया हूं
मानसिक विकास हो मेरा
इसीलिए बच्चों की टोली चाहिए
माँ मुझे गुड़िया जैसी बहना चाहिए-०-
पता:
बहना चाहिए
मैं खेल सकूं जिसके साथ
ओ मेरे संग रहना चाहिए
माँ मुझे गुड़िया जैसी बहना चाहिए
माँ जब तुम चली जाती हो काम पर
मैं बोर हो जाता हूं
अकेले बैठे बैठे
ऐसे तो घर में कोई
अपना होना चाहिए
माँ मुझे गुड़िया जैसी बहना चाहिए
दाई माँ के भरोसे तुम
मुझे छोड़कर जाती हो
वह कितनी देर तक मुझे संभालेगी
वह तो बैठे-बैठे सो जाती है
उसे भी तो आराम चाहिए
माँ मुझे गुड़िया जैसी बहना चाहिए
कोई बच्चा बड़ों के संग
कितना देर खेले
उसके लिए तो उसे
उसका हमउम्र साथी चाहिए
माँ मुझे गुड़िया जैसी बहना चाहिए
दफ्तर से लौट कर
तुम भी थक जाती हो
फिर बीना मुझे लोरी सुनाए सो जाती हो
पापा को तो टीवी पेपर
और किताब चाहिए
माँ मुझे गुड़िया जैसी बहना चाहिए
किसके लिए आप दोनों
पैसे जमा कर रहे हो
माँ- बाप के रहते मैं
अनाथ सा हो गया हूं
मानसिक विकास हो मेरा
इसीलिए बच्चों की टोली चाहिए
माँ मुझे गुड़िया जैसी बहना चाहिए-०-
पता:
दिनेश चंद्र प्रसाद 'दिनेश'
कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)
-०-
बाह बाह बहुत ही खुबसूरत रचना है आदरणीय ! आप को बहुत बहुत बधाई है।
ReplyDelete