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Saturday, 11 April 2020

पहले अपने बारे लिख (ग़ज़ल) - डॉ. रमेश कटारिया 'पारस'


पहले अपने बारे लिख
(ग़ज़ल)
पहले अपने बारे लिख
फिर तू चाँद सितारे लिख

नेताओ को भ्रष्टी लिख
जनता को बेचारे लिख

बहुत लिख लिए गाँधी नेहरू
अब अन्ना हजारे लिख

आधी रात को उठ कर लिख
या फिर साँझ सकारे लिख

हर तरफ़ है आग लगी
सूखे नदिया नारे लिख

बाढ़ आयी तो नदी बह गई
टूटे हुए किनारे लिख

क्यों तू पतझड़ की सुनता है
तू तो मस्त नज़ारे लिख

जुल्फें काली काली लिख
नैनो को कजरारे लिख

आँसू को तू मीठा लिख
या सागर को खारे लिख
-०-
पता:
डॉ. रमेश कटारिया 'पारस'
ग्वालियर (मध्यप्रदेश)
-०-



***
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सब के हक़ (ग़ज़ल) - राज बाला 'राज'

सब के हक़

(ग़ज़ल) 
सब के हक़ में ही अच्छा भला कीजिए
पाठ इंसानियत का पढ़ा कीजिए।

सिर्फ़ अपनी ही हाँके नहीं हर घड़ी
बात कमज़ोर की भी सुना कीजिए।

ऐरे ग़ैरो की माने न बीमारी में
डॉक्टर से ही बस मशवरा कीजिए।

वक़्त का यह तकाज़ा है बस आजकल
घर के बाहर न घूमा फिरा कीजिए।

बैठें टोली बनाकर न द्वारे कहीं
दोस्तों को भी चाहें खफ़ा कीजिए।

मिल सके पेट भर सबको भोजन यहाँ
आप राशन न इतना भरा कीजिए।

'राज' जो भी ज़रूरत के मारे दिखें
उनकी भी कुछ मदद अब किया कीजिए।
पता--
राज बाला 'राज'
हिसार(हरियाणा)
-०-

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