पर्यावरण दिवस
(कविता)
पर्यावरण दिवस पर धरा का दुल्हन सा श्रृंगार करें,
वृक्षारोपण करें, पतझड़ को हम बहार करें।
वृक्ष हमारे होते हैं सभी जीव जंतुओं के मित्र,
इनकी छाँव है अनुपम, सौंदर्य भी है विचित्र,
वृक्षों की देखरेख करके जीवन का उद्धार करें।
पर्यावरण दिवस पर धरा का दुल्हन सा श्रंगार करें...
कोई रुग्ण न होवे जग में,बाधा न आवे मग में,
हरियाली हो आच्छादित कोई शूल न चुभे पग में,
हम दया सुधा से रोगी मानवता का उपचार करें।
पर्यावरण दिवस पर धरा का दुल्हन सा श्रंगार करें...
कलम को बनाकर साथी,जीवन दर्शन लिख देवें,
विटप को पोषित करने की समाज को सीख देवें,
आओ व्यक्त हृदय के अनकहे सभी उद्गार करें।
पर्यावरण दिवस पर धरा का दुल्हन सा श्रृंगार करें।
पादप संरक्षण में प्रतिभाग करें सब मिलकर,
उद्यान बन जायेगी बंजर धरा भी खिलकर,
भौतिकवादी सोच पर आओ प्रहार करें।
पर्यावरण दिवस पर धरा का दुल्हन सा श्रंगार करें..
वृक्ष ही होते हैं शुद्ध प्राणवायु के वाहक,
मानव जाति बनी है क्यों इनकी संहारक?
आज प्राथमिकता से इस विषय पर विचार करें।
पर्यावरण दिवस पर धरा का दुल्हन सा श्रृंगार करें..
स्नेह हस्त से साफ़ करें हम प्रकृति के अश्रु,
बिना तरुवर छाया के निराश्रय हैं निरीह पशु
सर्वत्र हरियाली हो व्याप्त, न कोई हाहाकार करे।
पर्यावरण दिवस पर धरा का दुल्हन सा श्रृंगार करें...
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पता
प्रीति चौधरी 'मनोरमा'बुलन्दशहर (उत्तरप्रदेश)-०-
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