*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Wednesday, 14 October 2020

राम यही है (कविता) - अ कीर्तिवर्धन

राम यही है
(कविता)
राम यहीं हैं खुद के भीतर, देखो खुद पहचान कर,
रावण भी तो रहते संग संग, पहचानो पहचान कर।
क्यों करते हो प्रतीक्षा तुम, देवलोक से कोई आये,
पहले खत्म करो निज भीतर, रावण को पहचान कर।
कोई करता पाप कर्म, रावण ही तो कहलाता,
बेईमान और भ्रष्टाचारी, मेघनाथ सम बन जाता।
बलात्कर करने वालों के, जो हमदर्द बने बैठे,
मारीच और सुबाहु, कुम्भकरण बन इठलाता।
-०-
पता: 
अ कीर्तिवर्धन



***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

No comments:

Post a Comment

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ