हे माँ शारदा
(कविता)
हे माँ शारदा...!धवल हंस वाहिनी ।
श्वेताम्बर धारिणी, वीणा वादिनि ।
कर स्फटिक माला, ज्ञान विद्या दायिनी ।
भाल ज्योति चंद्रमा, सुख वर दायिनी ।।
कोटि-कोटि प्रणाम माँ,
स्वीकारो ज्ञान दायिनी ।।
जग अज्ञान-अंधकार नाशक ।
ज्ञान-प्रकाश दान दायक ।
कटु दिलों में मधु पोषक ।
जीवन रोशनी प्रदायक ।।
वारंवार नमन माँ
स्वीकारो स्नेहिल स्नेह दायक ।।
हरो उर- मन के तम को
मधु प्रेम पेय तेज भर दो ।
गूँगे - बहरे, गाये - सुने
वीणा को ऐसी झंकृत कर दो ।
सोये आलसी आत्मा में
आत्म चेतना जगा दो ।
अंधे-भटके लोगों के
अनंत लोचन खोल दो ।
करबद्ध प्रार्थना है माँ
बसंत का वैभव बरसा दो
बसंत का वैभव बरसा दो ।।
हे माँ शारदा...!धवल हंस वाहिनी ।
श्वेताम्बर धारिणी, वीणा वादिनि ।
कर स्फटिक माला, ज्ञान विद्या दायिनी ।
भाल ज्योति चंद्रमा, सुख वर दायिनी ।।
कोटि-कोटि प्रणाम माँ,
स्वीकारो ज्ञान दायिनी ।।
जग अज्ञान-अंधकार नाशक ।
ज्ञान-प्रकाश दान दायक ।
कटु दिलों में मधु पोषक ।
जीवन रोशनी प्रदायक ।।
वारंवार नमन माँ
स्वीकारो स्नेहिल स्नेह दायक ।।
हरो उर- मन के तम को
मधु प्रेम पेय तेज भर दो ।
गूँगे - बहरे, गाये - सुने
वीणा को ऐसी झंकृत कर दो ।
सोये आलसी आत्मा में
आत्म चेतना जगा दो ।
अंधे-भटके लोगों के
अनंत लोचन खोल दो ।
करबद्ध प्रार्थना है माँ
बसंत का वैभव बरसा दो
बसंत का वैभव बरसा दो ।।
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