एक दिन पकडे जाओगे
(गीत)
मत परदे में करो घोटाले छुप छुप कर के पाप ।
पाप से बच न पाओगे ,
एक दिन पकड़े जाओगे ।।
सौ वे दिन बेपर्दा होगा जब पर्दे का मुखड़ा ।
कोई नहीं सुनेगा लोगों पाप करम का दुखड़ा ।।
जीवन को आकर घेरेंगे ,बेशुमार संताप ।
ताप से बच न पाओगे ,
एक दिन पकड़े जाओगे ।।
जब जब भर जाता कोई घट उसे छलकना होता ।
दगा नहीं है सगा किसी का कब करता समझौता।।
दुखियारे मन का फलता है,दिया हुआ हर श्राप ।
श्राप से बच न पाओगे,
एक दिन पकड़े जाओगे ।।
भले बनो नाखुदा ,बनो या रहबर दीन धरम के।
दीनबंधु कहलाओ या हरने वाले हर गम के ।।
गर मन मैला व्यर्थ जाएगी लगी हुई हर छाप ।
छाप से बच न पाओगे ,
एक दिन पकड़े जाओगे ।।
दो आँखें ये भले मान ले नहीं किसी ने देखा ।
पर "अनंत" उसकी आंखों से कौन रहा अनदेखा।।
जिस मालिक ने एक कदम से ली सब धरती नाप।
नाप से बच न पाओगे,
एक दिन पकड़े जाओगे ।।
-0-
अख्तर अली शाह 'अनन्त'
मत परदे में करो घोटाले छुप छुप कर के पाप ।
पाप से बच न पाओगे ,
एक दिन पकड़े जाओगे ।।
सौ वे दिन बेपर्दा होगा जब पर्दे का मुखड़ा ।
कोई नहीं सुनेगा लोगों पाप करम का दुखड़ा ।।
जीवन को आकर घेरेंगे ,बेशुमार संताप ।
ताप से बच न पाओगे ,
एक दिन पकड़े जाओगे ।।
जब जब भर जाता कोई घट उसे छलकना होता ।
दगा नहीं है सगा किसी का कब करता समझौता।।
दुखियारे मन का फलता है,दिया हुआ हर श्राप ।
श्राप से बच न पाओगे,
एक दिन पकड़े जाओगे ।।
भले बनो नाखुदा ,बनो या रहबर दीन धरम के।
दीनबंधु कहलाओ या हरने वाले हर गम के ।।
गर मन मैला व्यर्थ जाएगी लगी हुई हर छाप ।
छाप से बच न पाओगे ,
एक दिन पकड़े जाओगे ।।
दो आँखें ये भले मान ले नहीं किसी ने देखा ।
पर "अनंत" उसकी आंखों से कौन रहा अनदेखा।।
जिस मालिक ने एक कदम से ली सब धरती नाप।
नाप से बच न पाओगे,
एक दिन पकड़े जाओगे ।।
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अख्तर अली शाह 'अनन्त'
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