दायरा प्यार का
(ग़ज़ल)
दायरा प्यार का बढ़ाना है
दोस्तों को भी आजमाना है
दोस्तों के लिए ही;जीता हूँ
फ़िक्र कैसी की क्या निभाना है
आज हम रूबरू हुए लेकिन
प्यार का सिलसिला पुराना है
बस रहे दिल में जो मेरे अपने
घर उन्हीं के ही' आना' जाना है
पार हद से कहीं ना हो जाऊं
आज ये दिल भी' आशिकाना है
प्यार का सिलसिला पुराना है
बस रहे दिल में जो मेरे अपने
घर उन्हीं के ही' आना' जाना है
पार हद से कहीं ना हो जाऊं
आज ये दिल भी' आशिकाना है
शायरी का हुनर है जिसको भी
महफ़िलों में वही सयाना है
वायदा आज ये करो "संजय"
एक दिन रंग भी ज़माना है
महफ़िलों में वही सयाना है
वायदा आज ये करो "संजय"
एक दिन रंग भी ज़माना है
-०-
संजय कुमार गिरि
चित्रकार ,पत्रकार एवं कवि
जे -288 /3 ,करतार नगर ,गली न 10 ,
सरस्वती मॉर्डन पब्लिक स्कूल, शिव मंदिर
दिल्ली
चित्रकार ,पत्रकार एवं कवि
जे -288 /3 ,करतार नगर ,गली न 10 ,
सरस्वती मॉर्डन पब्लिक स्कूल, शिव मंदिर
दिल्ली